पलाश (जेएसएलपीएस), हार्वेस्टप्लस (आईएफपीआरआई), और आईएसडीजी रिसर्च फाउंडेशन (प्रशिक्षण सहयोगी) के साझा प्रयास से भूख और कुपोषण जैसे समस्याओं को ख़त्म करने के लिए बायो फोर्टिफाइड फसलों के माध्यम से कुपोषण ख़त्म करने की साझा पहल विषय पर जेएसएलपीएस कर्मीयों के लिए दो दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला सह तकनीकी प्रशिक्षण का आयोजन 15 और 16 जुलाई, 2024 को हुआ. जिसमें महिला किसानों को बायो-फोर्टिफाइड बाजरा और मिलेट (मडुआ) की खेती के जरिए सशक्त बनाने पर विशेष ध्यान दिया गया है.
राज्य भर में विशेष कर पीवीटीजी परिवार पर्याप्त भोजन मिलने के बाद भी छिपी हुई भूख (हिडन हंगर ) के दुष्परिणामों से प्रभावित हैं. इस स्थिति में व्यक्ति को कैलोरी तो मिलती है लेकिन आवश्यक विटामिन और खनिज, जैसे कि जिंक, कैल्शियम, आयोडीन और आयरन की कमी हो जाती है. यह पोषण से होने वाली कमी गंभीर परिणामों को जन्म देती है, जिसमें दृष्टि हानि, शारीरिक और मानसिक विकास में रुकावट, एनीमिया के कारण कमजोरी और संक्रमण के प्रति संवेदनशीलता शामिल है.
बायो फोर्टिफिकेशन के विस्तार प्रक्रिया का प्रशिक्षण और कार्यक्रम की कार्य योजना बनाने पर विस्तृत चर्चा हुई. वर्कशॉप में कैल्शियम, आयरन से भरपूर बाजरा और जिंक से भरपूर गेहूं के पैकेज ऑफ़ प्रैक्टिसेज, बायो फोर्टिफिकेशन के विस्तार प्रक्रिया का प्रशिक्षण और कार्यक्रम की कार्य योजना बनाने पर विस्तृत चर्चा हुई.
पलाश (जेएसएलपीएस) और हार्वेस्टप्लस की साझेदारी का उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाना और झारखण्ड में कुपोषण से लड़ना है. हर एक व्यक्ति के खेतों में उपयुक्त बायो फोर्टिफाइड बीज पंहुचा कर, उन्हें उसका कृषि प्रबंधन सिखा कर, खाद्य श्रृंखला में पोषक खाद्यान्न की उपलब्धता के माध्यम से ही यह संभव है.
इस वर्कशॉप सह प्रशिक्षण में गुमला, पाकुड़, पूर्वी सिंहभूम, गढ़वा, पलामू और लातेहार जिला के कई प्रखंडो से कर्मी, नेशनल मिशन मैनेजमेंट यूनिट-डेएनआरएलएम के मिशन मैनेजर जयराम किल्ली, मुख्य परिचालन पदाधिकारी-जेएसएलपीएस बिष्णु सी परिदा, हार्वेस्ट प्लस के प्रोग्राम लीड प्रतीक उनियाल, स्टेट प्रोग्राम मेनेजर-लाईवलीहूड डॉ प्रवीण सिंह, एसपीसी-पीवीटीजी शुभकांत नायक, हार्वेस्ट प्लस के स्वाधीन पटनायक, आईएसडीजी रिसर्च फाउंडेशन से कुमार देवाशीष और कई ज़िलों से आए पलाश (जेएसएलपीएस) के जिला और प्रखंड स्तर के कर्मी उपस्थित थे.
ट्रेन्डिंग फोटोज़