झारखंड आंदोलन ने बदल दी थी जगरनाथ महतो की जिंदगी, 1932 खतियान के बने सबसे बड़े अगुआ
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झारखंड आंदोलन ने बदल दी थी जगरनाथ महतो की जिंदगी, 1932 खतियान के बने सबसे बड़े अगुआ

Jagarnath Mahato Passed Away: झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो का आज 56 साल की उम्र में निधन हो गया. उनका जन्म बोकारो जिले के अलारगो गांव में सन 1967 में हुआ था. उनके पिता का नाम नारायण महतो था. उनके परिवार में अब 4 बेटियां और एक बेटा शामिल है.

झारखंड आंदोलन ने बदल दी थी जगरनाथ महतो की जिंदगी, 1932 खतियान के बने सबसे बड़े अगुआ

रांची:Jagarnath Mahato Passed Away: झारखंड के शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो का आज 56 साल की उम्र में निधन हो गया. उनका जन्म बोकारो जिले के अलारगो गांव में सन 1967 में हुआ था. उनके पिता का नाम नारायण महतो था. उनके परिवार में अब 4 बेटियां और एक बेटा शामिल है. जगन्नाथ महतो की शिक्षा सन 1995 में नेहरू हाई स्कूल तेलों, बोकारो से शुरू हुई. उन्होंने वहां से अपनी दसवीं की पढ़ाई पूरी की उसके बाद  अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी थी.

झारखंड मुक्ति मोर्चा के सबसे वफादार नेता

जगन्नाथ महतो शुरू से ही झारखंड मुक्ति मोर्चा से जुड़े रहे. राजनीतिक उठापटक के बावजूद भी उन्होंने पार्टी का दामन कभी नहीं छोड़ा. उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत झारखंड आंदोलन से हुई. झारखंड आंदोलन के अग्रणी नेता के रूप में जाने जाते हैं. वह पहली जेएमएम के सिंबल से डुमरी(गिरिडीह) विधानसभा से 4 बार विधायक निर्वाचित हुए सबसे पहले 2005 में वही फिर 2009 में इसके अलावा 2014 एवं 2019 में भी लगातार चौथी बार गिरिडीह के डुमरी विधानसभा से विधायक निर्वाचित हुए. जहां 2019 में उन्हें झारखंड कैबिनेट में जगह मिली और वे शिक्षा मंत्री व उत्पाद मंत्री के रूप में शपथ ली. वह दिसंबर 2019 से लेकर अब तक बतौर मंत्री रहे, हालांकि उन्होंने दो बार गिरिडीह सीट से सांसद का भी चुनाव लड़ा था लेकिन वह चुनाव हार गए थे

53 साल की उम्र में फिर से शुरू की पढ़ाई

झारखंड के शिक्षा मंत्री के रूप में पद संभालते ही वह आलोचनाओं से घिर गए. लोगों ने कहा कि दसवीं पास को कैसे शिक्षा मंत्री बना दिया गया है. ऐसे में उन्होंने एक उदाहरण पेश करते हुए 53 साल की उम्र में अपनी पढ़ाई फिर से शुरू की. साल 1995 में मैट्रिक की परीक्षा देने के बाद लगभग 25 सालों बाद 10 अगस्त 2020 को बोकारो के नावाडीह स्थित देवी महतो इंटर कॉलेज में 11वीं कक्षा में दाखिला लिया और आगे की पढ़ाई पूरी करने का मन बनाया.

 जिंदा रहा तो जरूर दूंगा इंटर की परीक्षा

20- 21 शैक्षणिक सत्र पूरा होने के साथ झारखंड एकेडमिक काउंसिल की ओर से इंटरमीडिएट रिजल्ट प्रकाशन के दौरान वह जुलाई 2021 के अंतिम सप्ताह में जैक कार्यालय पहुंचे थे इस दौरान उन्होंने कहा कि था अगर जिंदा रहा तो अगले साल इंटरमीडिएट का परीक्षा भी दूंगा और पास भी जरूर करूंगा

1932 के सबसे बड़े अगुआ

11 नवंबर 2022 को झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र बुलाकर 1932 को पारित किया गया था और उस के सबसे बड़े अगुआ जगन्नाथ महतो रहे थे. दरअसल स्थानीयता के मुद्दे पर हमेशा से मुकर रहने वाले जगन्नाथ महतो ने कैबिनेट में अपनी एक अलग पहचान बनाई थी. झारखंड के मुद्दों को लेकर वह अपनी बात बेबाकी से रखते थे. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी जब कैबिनेट और विधानसभा की पटल से 1932 को पास कराया था तो इसका श्रेय जगन्नाथ महतो को दिया था. जगरनाथ महतो ने 1932 पारित होने के साथ ही शिबू सोरेन से मुलाकात कर एक विशेष चादर पहनाया था जिसमें 1932 उकेरा हुआ था.

10 नवंबर 2021 को हुआ था फेफड़े का ट्रांसप्लांट

कोरोना संक्रमण की पुष्टि होने के बाद उनका इलाज चलता रहा, लगभग 8 महीनों के उपचार के बाद चेन्नई के महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं रिसर्च सेंटर में फेफड़े का ट्रांसप्लांट हुआ. कोरोना संक्रमण से उनके दोनों फेफड़े बुरी तरह संक्रमित हो गए थे ऐसे में उन्हें बदलना पड़ा. हालांकि इलाज होने के बाद भी शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो की स्थिति बहुत ज्यादा ठीक नहीं हुई. बीच-बीच में उनकी तबीयत बिगड़ती रही लेकिन इसी बीच साल 2022 के बसंत पंचमी के मौके पर उन्होंने अपने विभाग की कमान फिर से संभाली इसी दरमियान सदन से 1932 ओबीसी को आरक्षण समेत कई अहम मुद्दों को मुहर लगी थी.

बिगड़ी तबीयत चेन्नई के लिए हुए रवाना

शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो को बीते 14 मार्च 2023 के अहले सुबह एक बार फिर सांस लेने में तकलीफ हुई. जहां उन्हें आनन-फानन में रांची के धुर्वा स्थित पारस अस्पताल पहुंचाया गया. वहां पर उन्हें स्टेबल करने के बाद चेन्नई रवानगी की तैयारी थी. इसी बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन विधानसभा सत्र के बीचो बीच उनसे अस्पताल में मिलने पहुंचे थे. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और जगन्नाथ महतो की आखिरी मुलाकात रांची के पारस अस्पताल में ही हुई थी. इस दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा था कि हमारे जगन्नाथ दा फाइटर हैं. वह हर परिस्थिति से लड़ जायेंगे उसके बाद उन्हें एयर एंबुलेंस के जरिए चेन्नई रवाना किया गया लगभग 21 दिनों की लड़ाई के बाद जगन्नाथ दा नहीं रहे.

इनपुट- आयुष कुमार सिंह

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