बंद कमरे में जलाकर न छोड़ें कोयला, हजारीबाग में दम घुटने से बुजुर्ग दंपती की मौत
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बंद कमरे में जलाकर न छोड़ें कोयला, हजारीबाग में दम घुटने से बुजुर्ग दंपती की मौत

घटना ईचाक थाना क्षेत्र के झरपो गांव की है. ग्रामीणों ने बताया कि 65 वर्षीय बिशुन महतो और उनकी पत्नी 60 वर्षीय गोलवा देवी ठंड से बचने के लिए कमरे में कोयले का अलाव जलाकर सो गए थे. रविवार की सुबह दोनों को घर में मृत पाया गया.

बंद कमरे में जलाकर न छोड़ें कोयला, हजारीबाग में दम घुटने से बुजुर्ग दंपती की मौत

हजारीबागः झारखंड में इस वक्त हाड़ कंपाने वाली सर्दी पड़ रही है. सर्दी से बचने के लिए लोग अलाव आदि का सहारा ले रहे हैं. बुजुर्ग ठंड से अधिक परेशान हो रहे हैं. ऐसे ही हजारीबाग के एक बुजुर्ग दंपती ने सर्दी से बचने के लिए बंद कमरे में कोयला जला लिया. यह कोयला उनके लिए काल बन गया और दम घुटने से दोनों की मौत हो गई.  

घर में मृत मिले दंपती
जानकारी के मुताबिक, घटना ईचाक थाना क्षेत्र के झरपो गांव की है. ग्रामीणों ने बताया कि 65 वर्षीय बिशुन महतो और उनकी पत्नी 60 वर्षीय गोलवा देवी ठंड से बचने के लिए कमरे में कोयले का अलाव जलाकर सो गए थे. रविवार की सुबह दोनों को घर में मृत पाया गया. आसपास के लोगों ने बताया कि रविवार सुबह 9 बजे सुबह तक दंपती के घर का दरवाजा नहीं खुला था तो लोगों को कुछ आशंका हुआ. घर से बकरियों की आवाज आ रही थी. मौके पर पहुंचे पड़ोसियों ने पाया कि घर का दरवाजा बंद था. ग्रामीणों ने घर का दरवाजा तोड़ दिया.

कमरे में भरा हुआ था धुआं
गांव वालों का कहना है कि पूरे कमरे में कोयले का धुआं भरा पड़ा था. पलंग पर बुजुर्ग दंपती का शव पड़ा मिला. पास में कोयले का चूल्हा भी बरामद हुआ. आशंका जताई गई कि कमरे में कोयले के धुएं से ऑक्सीजन का स्तर बहुत कम हो गया और दम घुटने के कारण  दोनों की मौत हो गई. दंपती के दो बेटों और दो बेटियों की शादी हो चुकी है. दोनों शादीशुदा बेटे अभी बाहर काम करते हैं. अंतिम संस्कार के लिए उनका इंतजार हो रहा था. 

क्या कहते हैं विशेषज्ञ
डॉक्टरों-  विशेषज्ञों के अनुसार कोयला बंद कमरे में जल रहा हो तो इससे कमरे में कार्बन मोनोऑक्साइड बढ़ जाती है और ऑक्सिजन का लेवल घट जाता है. यह कार्बन सीधे ब्रेन पर असर डालता है और सांस के जरिए पूरे शरीर में फैल जाता है. ब्रेन पर असर होने के कारण कमरे में सोया इंसान बेहोश हो जाता है और फिर उसे वक्त रहते साफ ऑक्सिजन युक्त हवा में न ले जाया गया तो 3 घंटे में उसकी मौत भी हो जाती है.

 

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