राष्ट्रपति के आगमन को गौरवशाली बताते हुए भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि यह पूरे राज्य के लिए गर्व की बात है. प्रधानमंत्री मोदी ने पिछली बार ही झारखंड स्थापना दिवस के मौके पर आदिवासियों को उनके सम्मान में आदिवासी गौरव दिवस मनाए जाने की घोषणा की
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रांचीः झारखंड स्थापना दिवस यानी 15 नवंबर को आदिवासी गौरव दिवस के रूप में भी मनाया जा रहा है. झारखंड के लिए इस स्थापना दिवस के मायने और भी खास हैं, क्योंकि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु झारखंड आ रही हैं. राष्ट्रपति के आगमन को लेकर एक तरफ जहां तैयारियां युद्धस्तर पर चल रही हैं तो वहीं दूसरी तरफ बयानबाजियां भी जारी हैं.
बीजेपी ने बताया गौरवशाली
राष्ट्रपति के आगमन को गौरवशाली बताते हुए भारतीय जनता पार्टी का कहना है कि यह पूरे राज्य के लिए गर्व की बात है. प्रधानमंत्री मोदी ने पिछली बार ही झारखंड स्थापना दिवस के मौके पर आदिवासियों को उनके सम्मान में आदिवासी गौरव दिवस मनाए जाने की घोषणा की और एक आदिवासी महिला को देश के सर्वोच्च पद पर आसीन किया जो यह बताता है कि भाजपा का आदिवासी प्रेम कितना है. हमने जनजाति समाज के गौरव पुरुष सम्मान देने का काम किया जबकि पिछली सरकारों ने आदिवासियों को कमतर आंका था.
कांग्रेस ने कसा तंज
बीजेपी ने कहा कि राष्ट्रपति के आगमन को लेकर राज्य सरकार तैयारी कर रही है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी का उत्साह अलग ही है क्योंकि पार्टी के किसी कार्यकर्ता को सर्वोच्च पद पर आसीन होने का मौका मिला है और वह राष्ट्रपति बन कर अपने राज्य आ रही हैं. इधर झारखंड कांग्रेस के प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने बीजेपी के स्वागत पर तंज कसते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी का राष्ट्रपति का स्वागत महज़ राजनीतिक है. वहीं उन्होंने कहा कि अगर आदिवासी गौरव दिवस मनाने के लिए बीजेपी इतनी प्रतिबद्ध है तो सरना कोड लागू कर आदिवासियों को पहचान देने की पहल करें. वहीं उन्होंने कहा कि अगर सरना धर्म कोड पारित हो गया होता तो इस राज्य में वहां के आदिवासी गौरव दिवस और भी बेहतर ढंग से मनाया जा सकता था.
वहीं राष्ट्रपति के आगमन को लेकर झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रवक्ता तनुज खत्री ने बताया कि यह पल झारखंड वासियों के लिए गौरव का पल है और उनके आगमन की तैयारी को लेकर राज्य सरकार कटिबद्ध है.
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