Prashant Kishor in Faovour of Right to Recall: अन्ना आंदोलन के समय राइट टू रिकॉल बहुत आम शब्द था. तब अन्ना हजारे भी इसके हिमायती थे और अरविंद केजरीवाल भी, लेकिन जब अरविंद केजरीवाल ने पार्टी बनाई तो इन सब अच्छे अच्छे शब्दों के झमेले में पड़ना उचित नहीं समझा और कामचलाऊं शब्दों से ही काम चलाना सही समझा.
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Right to Recall... कुछ जाना पहचाना शब्द लग रहा है. हां, याद आ गया. अरे ये तो दिल्ली वाले आंदोलन में इस्तेमाल किया जाता था. वो जो आंदोलन था.... हां याद आ गया... अन्ना आंदोलन. इस आंदोलन में Right to Recall की चर्चा बहुत होती थी पर इस आंदोलन से निकली पार्टी अब वो सब भूल गई है. आंदोलन के दिनों की बात कुछ और है और सत्ता मिलने के बाद की बात कुछ और. अरे भाई, कई सारी चीजें मैनेज करनी होती है. लोग समझते ही नहीं और पुरानी बात को जपते रहते हैं. अब इस शब्द को नए फ्लेवर में लेकर आए हैं जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर (Prashant Kishor). उनका दावा है कि Right to Recall का प्रावधान हमारी पार्टी के संविधान में किया जाएगा.
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जनसुराज अभियान अगले महीने 2 अक्टूबर को पार्टी का रूप लेने जा रहा है. इससे पहले प्रशांत किशोर अपनी पदयात्रा और विभिन्न बैठकों के माध्यम से जनता के सामने पार्टी की रूपरेखा पर चर्चा कर रहे हैं. साथ ही वे यह भी बता रहे हैं कि जन सुराज किस तरह से अन्य राजनीतिक दलों से अलग और बेहतर विकल्प होगा. इसी कड़ी में उन्होंने ऐलान किया कि जनसुराज देश की पहली पार्टी होगी, जो अपने संविधान में राइट टू रिकॉल यानी चुने हुए प्रतिनिधि को वापस बुलाने का प्रावधान जोड़ेगी.
प्रशांत किशोर ने स्पष्ट किया कि जन सुराज अपने संविधान में यह प्रावधान जोड़ रहा है. इससे मतदाता अपने चुने हुए प्रतिनिधियों को उनके कार्यकाल के आधे समय यानी ढाई साल के बाद हटाने का अधिकार रख सकेगी. उन्होंने कहा कि हम जनसुराज के संविधान में यह बात जोड़ रहे हैं कि जो भी जनप्रतिनिधि जन सुराज से जीतता है लेकिन किसी कारणवश जनता की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाता तो यह विकल्प होगा कि जनता उसके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित कर सकती है.
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उन्होंने कहा कि तय संख्या में मतदाता अपने प्रतिनिधि के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाते हैं तो जन सुराज उस प्रतिनिधि को इस्तीफा देने पर मजबूर करेगा. मतदाताओं की संख्या को लेकर अभी चर्चा की जा रही है. 2 अक्टूबर को जब पार्टी की घोषणा होगी, तो इसे जनसुराज के प्रावधानों में जोड़ दिया जाएगा. हालांकि यह कानून देश में लागू नहीं है, लेकिन जनसुराज अपने सभी प्रतिनिधियों पर इसे अनिवार्य रूप से लागू करेगा. इससे जनता के प्रतिनिधियों की जवाबदेही ओर भी अधिक सुनिश्चित की जा सकेगी.