Jharkhand Politics: हेमंत सोरेन तय नहीं कर पा रहे मंत्रियों के नाम! क्या पार्टी में बगावत का है खतरा?
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Jharkhand Politics: हेमंत सोरेन तय नहीं कर पा रहे मंत्रियों के नाम! क्या पार्टी में बगावत का है खतरा?

Jharkhand Politics: हेमंत को सीएम बने हुए 3 दिन हो चुके हैं, लेकिन अभी तक वह अपने मंत्रियों का नाम तय नहीं कर पाए हैं. उनकी सबसे बड़ी दुविधा पूर्व CM चंपई सोरेन को एडजस्ट करने की है. 

हेमंत सोरेन

Jharkhand Politics: झारखंड की कमान एक बार फिर से हेमंत सोरेन के हाथों में आ चुकी है. उन्होंने जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद 4 जुलाई को तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. इससे पहले चंपई सोरेन ने सीएम की कुर्सी खाली कर दी थी. ऐसा पहली बार हुआ कि हेमंत सोरेन ने अकेले ही मुख्यमंत्री पद की शपथ ली हो. इससे पहले वह अपने साथ सहयोगी दलों के एक-एक विधायक को जरूर मंत्री पद की शपथ दिलाते थे. हेमंत को सीएम बने हुए 3 दिन हो चुके हैं, लेकिन अभी तक वह अपने मंत्रियों का नाम तय नहीं कर पाए हैं. इससे राजनीतिक गलियारों में यह सवाल उठने लगे हैं. ऐसा पहली बार हो रहा है जब हेमंत सोरेन को अपनी कैबिनेट तय करने में इतना वक्त लग रहा हो. कहा जा रहा है कि हेमंत सोरेन को सहयोगी दलों की वजह से ज्यादा अपनी पार्टी की आंतरिक कलह अधिक परेशान कर रही है.  

हेमंत सोरेन की सबसे बड़ी दुविधा पूर्व CM चंपई सोरेन को एडजस्ट करने की है. उन्हें सत्ता में शामिल भी कर लेंगे तो भी यह उनका डिमोशन होगा. वैसे भी चंपई सोरेन के सहारे बीजेपी ने हेमंत सोरेन पर आदिवासी नेता का अपमान करने का आरोप लगाया है. बीजेपी विधायक सीपी सिंह ने कहा कि चंपई सोरेन को इन लोगों ने मुखौटा बनाया था, जबकि सरकार के फैसले तो हेमंत सोरेन ही जेल से रहकर ले रहे थे. उन्होंने कहा कि जेल से बाहर आकर (हेमंत सोरेन) फिर से मुख्यमंत्री बन गए, तो कोई चौंकाने वाली बात नहीं है. अब हेमंत के सामने बीजेपी का मुंह बंद करानी की चुनौती है. इसीलिए चंपई को संगठन में बड़ी जिम्मेदारी देने का विचार है.

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दूसरी बड़ी समस्या अपने भाई बसंत सोरेन को लेकर है. हेमंत जब जेल गए थे तो उन्होंने अपने छोटे भाई बसंत को चंपई सरकार में मंत्री बनवाया था. अब वह फिर से मुख्यमंत्री बन गए हैं तो क्या अब बसंत को सरकार में शामिल किया जाएगा या नहीं, ये देखना होगा. वैसे भी लोकसभा चुनाव के दौरान शिबू सोरेन परिवार में टूट हो देखने को मिल चुकी है. इसलिए अब ज्यादा रिस्क नहीं लिया जा सकता. झामुमो विधायक बैद्यनाथ राम को लेकर भी इस बार हेमंत सोरेन दुविधा में फंसे हुए हैं. दलित वोटरों के लिए बैद्यनाथ राम को मंत्री बनाना मजबूरी है.

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