दर्जनों अतिपिछड़ी जातियों की हकमारी का दस्तावेज है जातीय सर्वे: सुशील मोदी
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दर्जनों अतिपिछड़ी जातियों की हकमारी का दस्तावेज है जातीय सर्वे: सुशील मोदी

पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि राज्य में जातीय सर्वे के नाम पर अतिपिछड़ों की हकमारी की गई और सरकार-समर्थक समूहों की संख्या वास्तविकता से बहुत अधिक दिखाई गई.

 (फाइल फोटो)

पटना: पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि राज्य में जातीय सर्वे के नाम पर अतिपिछड़ों की हकमारी की गई और सरकार-समर्थक समूहों की संख्या वास्तविकता से बहुत अधिक दिखाई गई. राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि यदि नीतीश सरकार में हिम्मत है तो वह शहरों के वार्ड-वार और गांवों के पंचायत-वार जातीय आंकड़े तुरंत विधानसभा में पेश करे.

 

उन्होंने कहा कि जातीय सर्वे में एक जाति विशेष और एक अल्पसंखयक वर्ग की संख्या को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाने का गृह मंत्री अमित शाह का आरोप सही है. राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि वैश्य, धानुक, नोनिया, चंद्रवंशी, निषाद सहित दो दर्जन से अधिक जातियाँ सर्वे रिपोर्ट आने के बाद अपमानित और छला हुआ महसूस कर रही हैं. उन्होंने कहा कि कई अतिपिछड़ी जातियां धरना-प्रदर्शन कर अपना विरोध प्रकट कर चुकी हैं.

राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि यदि सर्वे में गड़बड़ी नहीं होती तो अतिपिछड़ी जातियों की आबादी 36 फीसद से ज्यादा होती. उन्होंने कहा कि यदि बार्ड और पंचायत के जातीय आंकड़े सामने आयें, तो हम सब-कुछ प्रमाणित कर देंगे. गौरतलब है कि इससे पहले सुशील मोदी ने इस पर सवाल उठाए थे और कहा था कि  विधान मंडल के शीतकालीन सत्र में सरकार को जातीय सर्वे की पंचायत-वार रिपोर्ट और इस सर्वे के आधार पर तैयार होने वाले विकास मॉडल का प्रारूप सदन के पटल पर रखना चाहिए. उन्होंने कहा कि नगर निकाय चुनाव में आरक्षण देने के लिए पिछले साल बिहार सरकार ने डेडीकेटेड अतिपिछड़ा आयोग गठित किया था. उसकी रिपोर्ट जारी नहीं हुई। वह रिपोर्ट भी विधान मंडल में प्रस्तुत की जानी चाहिए. 

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