बिहार में राजनीति इन दिनों अपने उच्चतम तापमान पर है. राजनीतिक हलकों में पहले से ही खूब हंगामा था वहीं असदुद्दीन ओवैसी की एंट्री ने इसे और ज्यादा बढ़ा दिया. दरअसल बिहार में जिस तरह से सत्ता परिवर्तन के बाद से माहौल बना है उसको ओवैसी की एंट्री ने और रोचक बना दिया है.
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पटना : बिहार में राजनीति इन दिनों अपने उच्चतम तापमान पर है. राजनीतिक हलकों में पहले से ही खूब हंगामा था वहीं असदुद्दीन ओवैसी की एंट्री ने इसे और ज्यादा बढ़ा दिया. दरअसल बिहार में जिस तरह से सत्ता परिवर्तन के बाद से माहौल बना है उसको ओवैसी की एंट्री ने और रोचक बना दिया है. बता दें कि बिहार में सभी सियासी दलों ने 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए कमर कस ली है. एक तरफ भाजपा लगातार लंबे वक्त से बिहार में लोकसभा चुनाव को लेकर सक्रिय हो गई है तो वहीं दूसरी तरफ महागठबंधन के दल भी इस चुनावी समर में अपनी नैया कैसे पार लगे इसकी तैयारी मनें लग गए हैं.
भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की फौज बिहार के दौरे लगातार कर रही है. अमित शाह 6 महीने के अंदर चौथी बार बिहार के दौरे पर जाने वाले हैं. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी बिहार का दौरा कर चुके हैं. बिहार में भाजपा का फोकस इस बार उन सीटों पर है जहां भाजपा को हार का सामना करना पड़ा या कम अंतर से उनके हाथ विजय नहीं लग पाई. इसके अलावा सीमांचल की सीटों पर भी भाजपा का फोकस है. आपको बता दें की सीमांचल में अमित शाह रैली कर चुके हैं. वहीं महागठबंधन की तरफ से भी सीमांचल में शक्ति प्रदर्शन किया गया है. आपको बता दें कि अब बिहार में औवैसी की एंट्री हुई है जिसने बिहार की पूरा सियासी समीकरण बदलकर रख दिया है.
बता दें कि एआईएमआईएम (AIMIM) सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी दो दिन के सीमांचल दौरे पर थे. यहां उन्होंने ढेर सारी सभाएं और पैदल यात्राएं की है. आपको बता दें कि इस क्षेत्र में ओवैसी की पार्टी को 2020 के विधानसभा चुनाव में खूब सफलता मिली हालांकि उनकी सफलता को राजद ने ग्रहण लगा दिया और उनके जीते हुए 5 में से 4 विधायक में अपने पाले में कर लिया. ओवैसी इसको भूल नहीं पाए हैं और इस बार राजद को पटखनी देने के लिए मैदान में उतर आए हैं. ऐसे में ओवैसी के निशाने पर इस बार भाजपा से ज्यादा राजद रही है. आपको बता दें कि ओवैसी मैदान में उतरे हीं इसलिए हैं कि बिहार में राजद, कांग्रेस और जदयू जो मुस्लिम वोट बैंक को अपने पाले में खींचने की जुगत में लगी रहती है उसे अपनी तरफ लाया जाए.
बता दें कि बिहार से वापस जाते-जातेऔवेसी ने जो ऐलान किया उसने राजद और जदयू के चेहरे पर चिंता की लकीरें खींच दी है. ओवैसी ने कहा कि बिहार में 20205 के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी 50 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी. उन्होंने साफ कह दिया कि इस बार यह कोताही नहीं होगी, ना ही हम सीमांचल तक सीमित रहेंगे. वहीं ओवैसी ने लोकसबा चुनाव के बारे में जो कहा उससे भाजपा खुश है तो वहीं जदयू-राजद परेशान. ओवैसी ने कहा कि इस बार लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी केवल किशनगंज नहीं बल्कि और भी कई सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए मैदान में उतरेगी.
ओवैसी ने अगर घोषणा के मुताबिक कुछ भी किया तो राजद और जदयू को इसका गहरा नुकसान होगा. हालांकि यह नहीं हे ओवैसी इसकी वजह से कुछ ज्यादा फायदा कर पाएंगे लेकिन हां भाजपा के लिए राह आसान हो जाएगी. ओवैसी के निशाने पर पार्टी से जाने वाले चारों विधायक भी रहे जिन्हें उन्होंने गद्दार तक बता दिया. वहीं नीतीश सरकार के रमजान को लेकर लिए गए फैसले को भी उन्होंने मुसलमानों को टोपी पहनाने वाला करार दिया. ओवैसी के बारे में साफ है कि वह किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं होंगे. महागठबंधन में उनकी राजद से बनेगी नहीं और वहीं भाजपा के साथ उनका गठबंधन संभव नहीं है. ऐसे में ओवैसी अकेले ही सबका खेल बिगाड़ेंगे.
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