Hartalika Teej 2024: हरतालिका तीज साल में आने वाले सभी तीज में से सबसे महत्वपूर्ण तीज होता है. हिंदू लोगों के लिए ये एक खास त्यौहार है. सनातन धर्म में हरतालिका तीज का विशेष महत्व है. विवाहित महिलाएं इस पावन दिन विधि-विधान के साथ अपने पति के लंबे आयु, उनके अच्छे स्वास्थ्य और संतान के वृद्धि के लिए व्रत रखती है. भोलेनाथ संग माता पार्वती को पूजती हैं. हर साल हरतालिका तीज भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को रखा जाता है. स्त्रियां बड़े ही श्रद्धा भाव के साथ इस पूजा और व्रत को रखती है.
इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए पूजा-पाठ के साथ पूरे दिन उपवास रखती हैं, सोहल श्रृंगार करती हैं. इस दिन माता पार्वती की पूजा की जाती है. उन्हें पूजा में 16 श्रृंगार अर्पित किया जाता है.
इस दिन महिलाएं खुद भी 16 श्रृंगार करके उपवास में अपने पति की सलामती की दुआ करती हैं. महिलाएं सिंदूर, मंगलसूत्र, बिछिया, पांव में महावर, नेल पेंट, काजल, लिपिस्टिक, वस्त्र, चूड़ी, मेहंदी, बिंदी, गजरा, पायल, अंगूठी, बाजूबंद, कमरबंद और हार पहनकर इस दिन को और खास बना देती हैं.
अब यह प्रश्न आता है कि गर्भवती महिलाएं इस व्रत का पालन कैसे कर सकती हैं. गर्भवती के लिए इस व्रत को रखने के कुछ खास नियम हैं. वैसे तो यह व्रत निर्जला रखा जाता है. मगर, क्या गर्भवती महिलाएं इसे रख सकती हैं? इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए ज्योतिष और वास्तु शास्त्र विशेषज्ञ गायत्री शर्मा ने जानकारी दी है. चलिए हम आपको इसके बारे में बताते हैं.
उन्होंने बताया, ''वैसे तो उपवास रखना एक श्रद्धा का विषय है, जिसे कोई भी रख सकता है. जहां बात गर्भवती महिलाओं की आती है तो वह डॉक्टर से परामर्श लेकर इस उपवास को रख सकती हैं. अगर प्रेगनेंसी में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं है, तो महिलाएं इस उपवास को बड़े ही आराम से कर सकती हैं.''
गायत्री शर्मा ने कहा, ''हरतालिका तीज के उपवास में पूरे दिन ही अन्न और जल का त्याग किया जाता है. अगर प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं के शरीर में इस उपवास को रखने की ताकत नहीं है तो वह इसे नहीं करें. अगर, वह विधि-विधान के साथ इसका पूजा जरूर कर सकती हैं.''
उन्होंने आगे कहा कि अक्सर हमने कई महिलाओं को हरतालिका तीज का उपवास करते हुए देखा भी है, यह उनकी आस्था ही होती है जो इस उपवास को रखने में उन्हें शक्ति प्रदान करती है. यह एक ऐसा भाव है जो विश्वास के साथ जुड़ा है, क्योंकि यह उपवास प्यार का भी प्रतीक माना जाता है.
गायत्री शर्मा ने कहा, ''अगर कोई महिला इस उपवास को नहीं कर पाए तो इसमें कोई परेशानी वाली बात नहीं है, क्योंकि भगवान हमारे भोजन त्यागने से नहीं, वह तो सिर्फ हमारे भाव से ही प्रसन्न हो जाते हैं.''
इनपुट - आईएएनएस