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पटना: बिहार में रामनवमी की शोभा यात्रा के बाद हिंसा इस कदर भड़की कि इसकी जद में प्रदेश के 5 जिले आ गए. बिहार में इस सांप्रदायिक हिंसा की आग में सबसे ज्यादा बिहारशरीफ और सासाराम जला. यहां 144 लगाने के साथ स्थिति को नियंत्रण में करने के लिए इंटरनेट पर भी पाबंदी लगाई गई. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का इस दौरान नवादा और सासाराम में कार्यक्रम था. सासाराम में तो उनका कार्यक्रम कैंसिल भी करना पड़ा. अब जब स्थिति सामान्य है तो सियासी दलों का इस क्षेत्र में जाने कती होड़ लग गई है. एक तरफ जहां भाजपा कह रही है कि उनके नेताओं को सासाराम जाने से रोका गया वहीं दूसरी तरफ बिहारशरीफ में BJP और AIMIM के लिए No Entry है.
बता दें कि अमित शाह के दौरे से पहले सुलगी आग पर भाजपा ने नीतीश सरकार को खूब कोसा और साफ कहा कि यह सब पहले से प्रायोजित था. अमित शाह के दौरे को लेकर नीतीश कुमार ने साफ कह दिया कि यहां सबको सुरक्षा दी जाती है. अब आगे इस पर सियासी तूफान शुरू हुआ. नीतीश पर भाजपा और AIMIM प्रशासनिक तौर पर फेल होने का आरोप लगाने लगी तो वहीं नीतीश कुमार ने साफ कह दिया कि कहीं तो किसी ने खचपट किया है. किसी ने गड़बड़ी की है. तेजस्वी यादव तो एक कदम आगे बढ़े और भाजपा पर इस सांप्रदायिक हिंसा के फैलाने को लेकर हमला बोलने लगे.
नीतीश ने भी भाजपा और AIMIM पर सधे शब्दों में ही सही लेकिन हमला बोल ही दिया. इस सब के बीच बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और भाजपा नेता विजय सिन्हा ने बताया कि नालंदा के प्रशासनिक अधिकारियों ने उन्हें क्षेत्र में धारा 144 लागू होने का कारण बताते हुए वहां पीड़ित परिवारों से मिलने से रोक दिया गया. उन्हें सवालिया लहजे में पूछा कि जब कार्यक्रम की जानकारी पहले से दी गई थी तो हमें इसके बारे में पहले क्यों नहीं बताया गया.
भाजपा के प्रतिनिधिमंडल को बिक्रमगंज में पुलिस ने रोक लिया. इसके साथ ही AIMIM के विधायक अख्तरुल इस्लाम जब बिहारशरीफ अपनी टीम के साथ पहुंचे तो उन्हें भी वहां जाने नहीं दिया गया. उन्होंने साफ तौर पर नीतीश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यहां सरकार के इशारे पर ऐसा किया जा रहा है. सरकार के इशारे पर प्रशासन का इस तरह काम करना बेहद दुखद है.
अभी तक तो अन्य दलों के नेता ही ओवैसी को भाजपा का एजेंट बता रहे थे लेकिन अब तो नीतीश कुमार ने भी उन्हें भाजपा का एजेंट बता दिया. उन्होंने साफ कह दिया कि 2017 में जब वह भाजपा से अलग हुए थे तो ओवैसी उनसे मिलना चाह रहे थे उन्होंने मिलने से मना कर दिया तब से वह भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए काम कर रहे हैं. नीतीश पर इससे पहले बिहार में हिंसा के मामले पर ओवैसी ने संवेदनहीन होने का आरोप लगाया था. नीतीश और तेजस्वी पर ओवैसी ने जमकर हमला बोला था.
नीतीश के वार पर ओवैसी ने भी पलटवार करते हुए लिखा कि मैंने नीतीश कुमार पर कुछ वाजिब सवाल उठाये. बिहार में हिंदुत्व तंज़ीमों ने जुलूस के नाम पर फ़साद फैलाया और प्रशासन उन्हें रोकने में नाकाम रहा. नीतीश ने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया, लेकिन मुझे एजेंट बुला कर निकल लिए. एक आदमी जिसने भाजपा का दामन गुजरात 2002 के बावजूद भी नहीं छोड़ा वो आज “एजेंट” की नोटरी चला रहा है!बिहार में जिसने भाजपा को मज़बूत किया, वो हम पर सवाल उठा रहा है? बिहार में मुसलमानों के ख़िलाफ़ हिन्दुत्ववादी जुर्म बढ़ते जा रहे हैं, लेकिन चाचा-भतीजा समझ रहे हैं की इफ़्तार पार्टी से काम चला लिया जाएगा.