बिहार से माता सीता और प्रभु राम का पौराणिक संबंध, सूची में इतने शहर, जानें सबके बारे में
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बिहार से माता सीता और प्रभु राम का पौराणिक संबंध, सूची में इतने शहर, जानें सबके बारे में

बिहार का इतिहास गौरवशाली रहा है. यहां कदम-कदम पर आपको धर्म, शिक्षा, स्मास्थ्य, गणित और विज्ञान से जुड़े पौराणिक ढेर सारे प्रमाण मिल जाएंगे. यहां धार्मिक मान्यताओं के भी ढेर सारे केंद्र हैं.

(फाइल फोटो)

पटना: बिहार का इतिहास गौरवशाली रहा है. यहां कदम-कदम पर आपको धर्म, शिक्षा, स्मास्थ्य, गणित और विज्ञान से जुड़े पौराणिक ढेर सारे प्रमाण मिल जाएंगे. यहां धार्मिक मान्यताओं के भी ढेर सारे केंद्र हैं. हालांकि यह बात अलग है कि सरकार की सोच की वजह से आजतक ये जगहें विकास से कोसों दूरे हैं और लोग इनके बारे में बहुत कुछ नहीं जानते हैं. बिहार में प्रभु श्रीराम और जनक नंदिनी माता सीते के साथ पवन पुत्र हनुमान से जुड़े कई जगहें हैं जिनके बारे में आप कम हीं जानते होंगे तो आइए सबसे पहले आपको उनके बारे में बताते हैं. 

माता सीता ने यहां दी थी अग्निपरीक्षा 
बिहार के मुंगेर में जिला मुख्यालय से 5 किलोमीटर पूरब सीताकुण्ड स्थित है. माघ के महीने में बड़ी संख्या में यहां लोग इसी कुण्ड में डुबकी लगाने पहुंचते हैं. त्रेता युग से जुड़ी कथा के अनुसार माता सीता ने लंका से लौटकर आने के बाद इसी कुंड में अग्नि परीक्षा दी थी. माता सीता इस अग्निपरीक्षा में सफल रही थीं और उन्होंने यहां की अग्नि को शांत करने के लिए तीन बुंद पसीने का इस्तेमाल किया था. इस कुंड का जल सालों भर गर्म रहता है. जबकि साथ ही चार और कुंड हैं. जिसे राम कुंड, लक्ष्मण कुंड, भरत कुंड और सीता कुंड के नाम से लोग जानते हैं. इन कुंड़ों का जल एकदम शीतल रहता है. पौराणिक कथाओं की मानें तो सीता की अग्निपरीक्षा के बाद चारों भाइयों ने अपने बाण से इन कुंड़ों का निर्माण किया. 

लखीसराय में श्रृंगी ऋृषि का आश्रम
श्रृंगी ऋषि का आश्रम बिहार प्रांत के लखीसराय जिले के सूर्यगढ़ा प्रखंड में स्थित है. जिला मुख्यालय से इस स्थान की दूरी लगभग 22 किलोमीटर है. बता दें कि श्रृंगी ऋषि ने राजा दशरथ के आग्रह पर पुत्रकामेष्ठि यज्ञ कराया था. बता दें कि यहां श्रृंगी ऋषि आश्रम है जहां सन्तान के इच्छुक दम्पति यहां आकर मन्नत मांगते हैं. यहां जलकुंड भी है और जहां लोग स्नान करते हैं और यहां के वृक्षमूल पर दूध चढ़ाते हैं. 

यहां राम और लक्ष्मण ने शिक्षा पाई थी
बिहार के बक्सर जिले में स्थित महर्षि विश्वामित्र के आश्रम में राम और लक्ष्मण ने विशेष शिक्षा ग्रहण की थी. यहीं उन्होंने ताड़का और सुबाहु समेत कई राक्षसों का वध भी किया था. 

यहां किया था अहिल्या का उद्धार 
दरभंगा जिले में मौजूद अहियारी गांव के बारे में कहा जाता है कि यहीं प्रभु श्रीराम ने मिथिला में प्रवेश से पहले गौतम ऋृषि की पत्नी अहिल्या का उद्धार किया था. 

मिथिला में प्रभु राम का ससुराल
मिथिला की राजकुमारी माता सीता से श्री राम का विवाह हुआ.  जनकपुर में मां सीता का स्वंयवर भी हुआ था. जो बिहार और नेपाल के बॉर्डर पर है. सीता का जन्म सीतामढ़ी में हुआ था. सीता जी के जन्म के कारण इसे सीतामढ़ी कहा जाता है. 

गया में किया था पिंडदान
अपने पिता दशरथ को पिंड देने के लिए प्रभु श्रीराम, लक्ष्मण और सीता गया पहुंचे थे. जहां माता सीता ने पिंडदान किया था. ऐसे में बिहार के गया से भी भगवान राम का पौराणिक रिश्ता रहा है. यहां पिंड दान से पूर्व प्रभु राम ने गया के रामशिला स्थित पर्वत पर विश्राम किया था, जहां उनके चरण चिह्न हैं. यहां जहां सीता ने दशरथ को पिंड दिया था उसे सीताकुंड के नाम से जानते हैं. 

जहां रूकी थी श्रीराम की बारात
मान्यता है कि जब प्रभु श्रीराम जनकनंदिनी सीता से विवाह कर अपनी बारात ले वापस लौट रहे थे तो बिहार के पूर्वी चंपारण में जानकी नगर में बारात के साथ रूके थे. 

बिहार में यहां हनुमान जी का ननिहाल 
रामभक्त हनुमान का ननिहाल भी बिहार के सारण जिले के रिविलगंज में है. 

रामरेखा घाट
कहते हैं कि यह स्थान बक्सर में गंगा के किनारे स्थित हैं. यहां ताड़का वध के बाद प्रभु श्रीराम ने  स्त्री वध से मुक्ति के लिए स्नान कर शिवलिंग बनाया था और शिव की पूजा की थी. वह शिवलिंग और उनके पैर के निशान वहां आज भी मौजूद हैं. 

इसके साथ ही बिहार में ढेरों सारे स्थान ऐसे हैं जो रामायण के प्रभु राम और माता जानकी से जुड़े हुए जहां प्रमाण मिलते हैं. 

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