University Sessions of Bihar: विश्वविद्यालयों में पढ़ाई करने आइए तो बिहार, 5-6 साल में रिजल्ट करिए देंगे तैयार!
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University Sessions of Bihar: विश्वविद्यालयों में पढ़ाई करने आइए तो बिहार, 5-6 साल में रिजल्ट करिए देंगे तैयार!

अरे रुकिए आप ठीक हीं कह रहे हैं कि बिहार में 10वीं और 12वीं के रिजल्ट कुछ सालों से सरकार एकदम समय से पहले और रिकॉर्ड स्तर पर तेजी दिखाते हुए जारी कर दे रही है.

(फाइल फोटो)

University Sessions of Bihar: अरे रुकिए आप ठीक हीं कह रहे हैं कि बिहार में 10वीं और 12वीं के रिजल्ट कुछ सालों से सरकार एकदम समय से पहले और रिकॉर्ड स्तर पर तेजी दिखाते हुए जारी कर दे रही है. हां, हां एकदम सही सुन रहे हैं आप बिहार सरकार की तरफ से पिछले कुछ सालों से मैट्रिक और इंटर के रिजल्ट इतनी जल्दी जारी कर दिया जा रहा है कि कई बोर्ड बिहार की तरफ निहारते हीं रह जाते हैं. कई राज्यों में तो परीक्षा ही इन कक्षाओं की चल रही होती है, लेकिन फायदा क्या यहां के बच्चे तो फिर भी पीछे हीं रहेंगे ना. अरे मैंने पढ़ाई के लिए नहीं बल्कि आगे के रिजल्ट के समय को लेकर बोला है. 

पढ़ना तो विद्यार्थियों का काम है परीक्षा में प्रशन पत्र को हल करना और उसका जवाब उत्तरपुस्तिका पर लिखान भी छात्रों का ही काम है लेकिन इसके मुल्यांकन की जिम्मेदारी थोड़े छात्रों के हाथ में है. अरे भाई बिहार बोर्ड से 10 वीं 12वीं पास समय से कर भी लिया तो क्या आगे अगर यहां के विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा के लिए दाखिला ले लिया तो पता है क्या होगा. 6 साल के इंतजार के बाद तीन साल वाले कोर्स का रिजल्ट हाथ लगेगा. खूब जल्दी रही तो कुछ विश्वविद्यालयों से 5 साल में डिग्री हासिल हो जाएगी.

मतलब जितनी जल्दी आपने 12वीं तक का परीक्षा परिणाम पाया आपको बीए, बीएससी और बीकॉम करने में उतना ही ज्यादा समय लगेगा.  मतलब जिस धरती से इतने IAS, IPS और अन्य विभागों के अधिकारी निकलते हैं वहीं के विश्वविद्यालियों से अगर आपको डिग्री लेनी है तो आपको अपने 5-6 साल तक का समय खराब करना पड़ेगा. अरे भैया रुकिए यहां 5 या 6 साल का कोर्स नहीं है यह तो विश्वविद्यालयों का छात्रों से प्यार इतना है कि 3 साल की डिग्री 5 से 6 साल में आती है. बिहार के लगभग सभी विश्वविद्यालयों से इसी तरह की शिकायत आती रहती है और तो और इसको लेकर नीतीश कुमार से सवाल पूछा जाए तो वह दिखवाते हैं कहकर इसे टाल जाते हैं. 

बिहार में विद्यालयों की यह व्यवस्था ऐसी है जिसने छात्रों के भविष्य को दीमक की तरह चाट रखा है. हालांकि नीतीश कुमार भी विश्वविद्यालयों की इस मनमानी को 18 साल में ठीक नहीं कर पाएं हैं और इसको लेकर सवाल किया जाए तो वह हमेशा टाल-मटोल ही करते नजर आते हैं. ऐस में बिहार ने पांचवी बार पूरे देश में रिकॉर्ड बनाते हुए 12वीं का रिजल्ट सबसे पहले जारी तो कर दिया लेकिन ये छात्र अब जब विश्वविद्यालय की दहलीज पर जाएंगे तो फिर पता है कि उनके साथ भी ऐसा ही होने वाला है. बिहार के 17 में से 16 विश्वविद्यालयों के साथ यही समस्या आम है और यह हम नहीं एक रिपोर्ट कह रही है. इतना ही नहीं यहां के कई विश्वविद्यालयों में तो मास्टर्स की डिग्री भी 3.5 से 4 साल के समय में मिलती है. नीतीश के बिहार में सत्ता संभालने से लेकर अब तक बिहार ने 7 शिक्षा मंत्रियों को देख लिया लेकिन सेशन तो विश्वविद्यालयों का 6 साल में ही पूरा हो रहा है.    

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