Republic Day 2024: बिहार के इन 36 महापुरुषों ने दिया था संविधान निर्माण में योगदान, दलितों और आदिवासियों के हक के लिए उठाई थी आवाज
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Republic Day 2024: बिहार के इन 36 महापुरुषों ने दिया था संविधान निर्माण में योगदान, दलितों और आदिवासियों के हक के लिए उठाई थी आवाज

 29 अगस्त 1947 को संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए एक समिति बनाई थी. इस इस समिति का नेतृत्व डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने किया था. 

Republic Day 2024: बिहार के इन 36 महापुरुषों ने दिया था संविधान निर्माण में योगदान, दलितों और आदिवासियों के हक के लिए उठाई थी आवाज

Patna: आज से 75 साल पहले भारत में लोकतंत्र ने पहली बार जन्म लिया था. दरअसल, 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद हमारे देश के पास  एक आधिकारिक संविधान नहीं था, जिस वजह से  29 अगस्त 1947 को संविधान का मसौदा तैयार करने के लिए एक समिति बनाई थी. इस इस समिति का नेतृत्व डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने किया था. इसके अलावा इस समिति में के.एम. मुंशी, मुहम्मद सादुल्लाह, अल्लादी कृष्णास्वामी अय्यर, गोपाला स्वामी अयंगार, एन. माधव राव, और टी.टी. कृष्णमाचारी जैसे बड़े दिग्गज भी थे. आप को जानकर हैरानी होगी इस समिति में बिहार के 36 लोगों को भी जगह दी गई थी. तो इस आज 26 जनवरी के दिन आइये जानते हैं, इन दिग्गजों के बारें में:

कमलेश्वरी प्रसाद यादव

संविधान सभा के लिए कमलेश्वरी प्रसाद यादव खगडिया क्षेत्र से निर्वाचित हुए थे. वो 1952 में उदा-किशनगंज क्षेत्र से विधायक बने थे. इसके बाद वो 1972 में दोबारा निर्वाचित हुए थे. पटना विश्वविद्यालय से उन्होंने कानून की डिग्री हासिल की थी. 

बोनीफास लकड़ा

बोनीफास लकड़ा ने संविधान सभा में छोटानागपुर प्रमंडल (रांची, हजारीबाग, पलामू, मानभूम, सिंहभूम) व संथाल परगना को मिला कर स्वायत्त क्षेत्र बनाने, इसे केंद्र शासित राज्य का दर्जा देने, सिर्फ आदिवासी कल्याण मंत्री की नियुक्ति, जनजातीय परामर्शदातृ परिषद (टीएसी) के गठन की समय सीमा तय करने, पांचवी अनुसूची क्षेत्र में सभी सरकारी नियुक्तियों पर टीएसी की सलाह व उसके अनुमोदन, विशेष कोष से अनुसूचित क्षेत्रों के समग्र विकास की योजनाएं लागू करने और झारखंडी संस्कृति की रक्षा की वकालत की थी.

तजामुल हुसैन

तजामुल हुसैन मोहम्मद अली जिन्ना का विरोध करने की वजह से कट्टरपंथियों के निशाने पर थे. उन्होंने संविधान सभा में रहते हुए वर्क, माइन और पावर कमिटी में अपने सुझाव दिये थे. इसके अलावा उन्होंने ही ये सुझाव दिया था कि अगर हैदराबाद भारत में मिलने को तैयार नहीं होता है तो सेना को उन पर धावा बोल देना चाहिए, जिस पर बाद में भारत सरकार ने अमल भी किया था. 

अनुग्रह नारायण सिंह

अनुग्रह नारायण सिंह को आधुनिक बिहार के निर्माताओं के रूप में याद किया था. वो संविधान सभा के महत्वपूर्ण सदस्यों में से एक थे. 1957 में उनका निधन हो गया था. 

बनारसी प्रसाद झुनझुनवाला

बनारसी प्रसाद झुनझुनवाला 1946 में जब वे संविधान सभा के सदस्य चुने गये उस साल वे सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली के सदस्य भी थे. उन्होंने भागलपुर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था.

ब्रजेश्वर प्रसाद

ब्रजेश्वर प्रसाद ने संविधान सभा के सदस्य रहने के साथ-साथ अंतरिम संसद, पहली, दूसरी और तीसरी लोकसभा में गया का प्रतिनिधित्व किया था. उनकी 7 दिसंबर 1979 में निधन हो गया था. 

चंद्रिका राम

चंद्रिका राम को दलितों और वंचितों को उनका हक दिलाने वाले नेता के up में याद किया जाता है. वो बिहार कृषक समाज समेत विभिन्न ट्रेड यूनियनों के सभापति भी रहे हैं.

केटी शाह

केटी शाह बिहार से संविधान सभा में प्रतिनिधि के रूप में चुने गये थे. ये जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में 1938 में गठित नेशनल प्लानिंग कमिटी के सदस्य थे. उन्होंने संविधान सभा में दो बार सेकुलर, फेडरल और सोशलिस्ट शब्द को संविधान में शामिल करने का प्रस्ताव दिया था,लेकिन डॉ. अंबेडकर ने इसे ख़ारिज कर दिया था. 

देवेंद्रनाथ सामंतो

देवेंद्र नाथ सामंतो 1946 से 1950 तक वे बिहार लेजिस्लेटिव काउंसिल के सदस्य रहे थे. उन्होंने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. 

दीप नारायण सिंह

दीप नारायण सिंह, बिहार एंड उड़िसा लेजिस्लेटिव काउंसिल  और बिहार लेजिस्लेटिव काउंसिल के सदस्य रहे हैं. आजादी के बाद वो बिहार सरकार में मंत्री बने.

जगत नारायण लाल

जगत नारायण लाल, राजेंद्र प्रसाद औऱ मदन मोहन मालवीय के अनुयायी थे. उन्होंने 1937 को गठित पहली कांग्रेस सरकार में पार्लियामेंट्री सेक्रेटरी बनाया गया था. 

जगजीवन राम

जगजीवन राम ताउम्र दलितों को अधिकार दिलाने के लिए संघर्षरत रहे. संसद, संविधान सभा और सरकार में रहते हुए उन्होंने ताउम्र प्रयास किये थे. 

जयपाल सिंह मुंडा

जयपाल सिंह मुंडा को एक मशहूर हॉकी खिलाड़ी, एक बेहतरीन लेखक और आदिवासियों के लिए संघर्ष करने वाले एक जानेमाने राजनेता के रूप में जाना जाता है. आदिवासियों के हक के लिए उन्होंने संविधान सभा में आवाज़ उठाई थी. उन्होंने मोरंग गोमके के नाम से जाना जाता है. 

कामेश्वर सिंह

कामेश्वर सिंह ने बीएचयू समेत कई प्रमुख शिक्षण संस्थानों की स्थापना में और उनकी बेहतरी करने की कोशिश की थी. उन्होंने बिहार और आसपास के इलाके में उद्योगों की स्थापना में भी मदद की थी.

महेश प्रसाद सिंहा

महेश प्रसाद सिंहा ने आजाद भारत में बिहार सरकार में कई मंत्रालयों में योगदान दिया है. उन्होंने कई शिक्षण संस्थानों की स्थापना की. उन्होंने संविधान सभा में महती भूमिका निभाई है.

कृष्ण बल्लभ सहाय

कृष्ण बल्लभ सहाय 1937 में बिहार लेजिस्लेटिव असेंबली के सदस्य चुने गये. वो बिहार के रेवेन्यू मिनिस्टर रहे हैं. 

डॉ. राजेंद्र प्रसाद

राजेंद्र बाबू का परिचय लोगों को देना सबसे जरूरी है. देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के भी अध्यक्ष थे. उनकी संविधान निर्माण में महती भूमिका सर्वविदित है. 

रामेश्वर प्रसाद सिंह

वैशाली से संविधान सभा के लिए निर्वाचित रामेश्वर प्रसाद सिंह बिहार लेजिस्लेटिव असेम्बली के सदस्य भी रह चुके हैं. 

रामनारायण सिंह

रामनारायण सिंह ने भी संविधान सभा में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी. उन्होंने पंचायती राज के मसले पर प्रमुखता से अपनी बात रखी थी. संसद में झारखंड के लिए पहली आवाज उठाने वालों में उनका नाम लिया जाता है.

डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा

सच्चिदानंद सिन्हा की बिहार को स्वतंत्र राज्य बनाने में उनकी सबसे बड़ी भूमिका रही है. वो संविधान सभा के पहले सदस्य थे, लेकिन स्वास्थ्य ठीक नहीं रहने के कारण वो इस भूमिका को निभा नहीं सके थे. जिसके बाद डॉ. राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का अध्यक्ष बनाया गया था. 

सारंगधर सिन्हा

सारंगधर सिन्हा बिहार लेजिस्लेटिव असेंबली के सदस्य रह चुके हैं. उन्होंने शिक्षा, वित्त, जेल सुधार, हिंदी कमेटी और हरिजन कमेटी में रहते हुए संसद को कई सुझाव दिये थे. 

सत्यनारायण सिन्हा

सत्य नारायण सिन्हा को 1926-1930 तक बिहार लेजिस्लेटिव कौंसिल का सदस्य बनाया गया था. वो 1934 और 1945 में सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली के सदस्य निर्वाचित हुए थे.

बिनोदानंद झा

बिनोदानंद झा 1961-1963 के बीच बिहार के मुख्यमंत्री रहे. उन्होंने लोकसभा में दरभंगा का प्रतिनिधित्व किया था. 

श्रीकृष्ण सिंह

बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण सिंह को बिहार केसरी के नाम से भी जाना जाता है. आजादी के बाद बिहार के निर्माण में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.

श्यामनंदन सहाय

श्यामनंदन सहाय 1930-37 तक बिहार लेजिस्लेटिव कैंसिल के मेंबर रहे. संविधान सभा के सदस्य रहने के अतिरिक्त इन्होंने पहली औऱ दूसरी लोक सभा में मुजफ्फरपुर का प्रतिनिधित्व किया था. 

हुसैन इमाम

हुसैन इमाम ने संविधान सभा में बिहार का प्रतिनिधित्व किया था. 

सैयद जफर इमाम

सैयद जफर इमाम पटना हाईकोर्ट के पहले भारतीय चीफ जस्टिस थे. उन्होंने इसी दौरान संविधान सभा में प्रतिनिधित्व किया. उन्हें 1955 में सुप्रीम कोर्ट का जस्टिस बनाया गया.

लतिफुर रहमान

सरदार मोहम्मद लतिफुर रहमान 1937 में मुसलिम लीग से जुड़ गये थे. संविधान सभा में उन्हें बिहार के मुसलिम प्रतिनिधि के रूप में भेजा गया था.

मो. ताहिर

मोहम्मद ताहिर तीन बार बिहार लेजिस्लेटिव असेंबली के सदस्य चुने गये. संविधान सभा में जाने के बाद भी ये दो बार लोकसभा सदस्य भी बने. 

श्री नारायण महथा

श्रीनारायण महथा 1930 से 37 तक बिहार लेजिस्लेटिव कौंसिल रहे. वो कांग्रेस के टिकट पर संविधान सभा में गये.

बाबू गुप्तनाथ सिंह 

बाबू गुप्तनाथ सिंह संविधान सभा में बिहार से एक सदस्य के रूप में शामिल किए गए थे. उन्होंने सात्त्विक जीवन पत्रिका का संपादन किया है.

पी के सेन 

प्रशांतो कुमार सेन था इमाम बंधु हसन इमाम और अली इमाम के मित्र थे. वे ब्रह्म समाज के अनुयायी थे और उन्होंने इससे संबंधित कई पुस्तकों को लिखा है. 

भागवत प्रसाद

भागवत प्रसाद सूर्यगढ़ा, लखीसराय-बड़हिया विधानसभा के एमएलए और बाद एमएलसी भी रहे. उन्होंने भी संविधान सभा में भेजा गया था.

जदुबंस सहाय

जदुबंस सहाय संविधान सभा के सदस्य के रूप में संसद पहुंचे थे, यहां उन्होंने कई मुद्दों पर गंभीर बहस की और अपनी राय रखी थी.

रघुनंदन प्रसाद 

दलितों के लिये संघर्ष करने वाले प्रमुख नेताओं में से एक नाम रघुनंदन प्रसाद का भी था. वो 1937 में मुंगेर सुरक्षित क्षेत्र से विधायक बने थे.

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