Rajgir Malmas Mela: ध्वजारोहण और 33 कोटि देवी देवताओं के आह्वान के साथ राजगीर का मलमास मेला शुरू
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Rajgir Malmas Mela: ध्वजारोहण और 33 कोटि देवी देवताओं के आह्वान के साथ राजगीर का मलमास मेला शुरू

मान्यता है कि अधिमास में सभी देवी देवता राजगीर में ही वास करते हैं. मलमास मेला शुरू होने के साथ ही साधु, संत एवं श्रद्धालुओं का आना प्रारंभ हो गया है. श्रद्धालुओं ने पहले दिन सतधारा ब्रह्मकुंड में स्नान कर पूजा अर्चना की. 16 अगस्त तक चलने वाले पुरुषोत्तम मास मेले को लेकर पिछले काफी दिनों से तैयारी चल रही थी. 

राजगीर का मलमास मेला शुरू

बिहारशरीफ: बिहार के नालंदा जिले के राजगीर में विश्व प्रसिद्ध राजकीय मलमास मेला का शुभारंभ सिमरिया घाट के स्वामी चिदात्मन जी महाराज उर्फ फलाहारी बाबा के द्वारा मंगलवार को ध्वजारोहण के साथ हुआ. इस अवसर पर वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पूजा अर्चना कर 33 कोटि देवी देवताओं का आह्वान किया गया.

मान्यता है कि अधिमास में सभी देवी देवता राजगीर में ही वास करते हैं. मलमास मेला शुरू होने के साथ ही साधु, संत एवं श्रद्धालुओं का आना प्रारंभ हो गया है. श्रद्धालुओं ने पहले दिन सतधारा ब्रह्मकुंड में स्नान कर पूजा अर्चना की. 16 अगस्त तक चलने वाले पुरुषोत्तम मास मेले को लेकर पिछले काफी दिनों से तैयारी चल रही थी. इस मौके पर ब्रह्मकुंड द्वार के सामने पूरे विधि-विधान से संत-महात्माओं और भक्तजनों ने पूजा-अर्चना की. 33 कोटि देवी-देवताओं का आह्वान किया गया.

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इस अवसर पर बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि राजकीय मलमास मेला को लेकर श्रद्धालुओं को हर प्रकार की सुविधा का ख्याल रखा गया है. उन्होंने कहा कि अधिकारियों को भी निर्देश दिया गया है कि देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को कोई भी परेशानी नहीं हो.सांसद कौशलेंद्र कुमार ने कहा कि साधु संत एवं श्रद्धालुओं को सभी प्रकार की सहूलियत देने का इंतजाम किया गया है. मलमास मेला के राष्ट्रीय मेला की मांग पर सांसद ने कहा कि यह केंद्र सरकार के अधिकार में है.

ऐसी मान्यता है कि अधिमास में 33 कोटि देवी-देवता एक महीने तक राजगीर में ही प्रवास करते हैं. राजगीर में चार शाही स्नान होंगे. राजगीर में 22 कुंड और 52 जल धाराओं में इस बार श्रद्धालु स्नान कर सकेंगे. सभी कुंड और जल धाराओं का जीर्णोद्धार कराया गया है, जिसमें सबसे खास वैतरणी नदी है. इस नदी तट को लोग प्राचीन समय से ही गाय की पूंछ पकड़कर पार किया करते थे. ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से उन्हें सीधे मोक्ष की प्राप्ति होती है. जिला प्रशासन द्वारा संध्या में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा.

इनपुट-आईएएनएस 

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