बिहार की एक छोटी सी लव स्टोरी, जिसने गुरु-शिष्य के रिश्ते पर उठाए थे सवाल
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बिहार की एक छोटी सी लव स्टोरी, जिसने गुरु-शिष्य के रिश्ते पर उठाए थे सवाल

प्रोफेसर मटुकनाथ और जुली 2007 से लेकर 2014 तक लिव इन रिलेशनशिप में रहे लेकिन उसके बाद दोनों के बीच दूरियां बढ़ने लगीं. 2013 के बाद से जुली का झुकाव अध्यात्म की तरफ हो गया और वह कई गुरुओं के संपर्क में आ गई.

बिहार की एक छोटी सी लव स्टोरी, जिसने गुरु-शिष्य के रिश्ते पर उठाए थे सवाल

पटना: बिहार की एक छोटी सी लव स्टोरी जो बहुत बड़ी बन गई और इतनी बड़ी कि कई दिनों तक 24 घंटे उसकी खबरें चलती रहीं. टीवी चैनलों को मुफ्त की टीआरपी मिलती रही. तब देश में गुरु-शिष्य रिश्ते पर नई बहस छिड़ गई थी. बात 2006 की है और उस लव स्टोरी के पात्र थे एक प्रोफेसर और उनकी एक शिष्या. नाम था मटुकनाथ और जुली. प्रोफेसर साहब को अपनी लव स्टोरी के लिए काफी कुछ झेलना पड़ा. उनके चेहरे पर कालिख पोती गई. फिर भी दोनों अपनी प्रेम कहानी को लेकर अटल रहे थे. खास बात यह है कि प्रोफेसर मटुकनाथ और उनकी शिष्या जुली की उम्र के बीच 30 साल का बड़ा फासला था.

7 साल की लव स्टोरी और फिर आ गई दूरी 

बताया जाता है कि प्रोफेसर मटुकनाथ और जुली 2007 से लेकर 2014 तक लिव इन रिलेशनशिप में रहे लेकिन उसके बाद दोनों के बीच दूरियां बढ़ने लगीं. 2013 के बाद से जुली का झुकाव अध्यात्म की तरफ हो गया और वह कई गुरुओं के संपर्क में आ गई. कई आश्रमों में उसने समय बिताया. इस पर प्रोफेसर मटुकनाथ कहते थे कि जुली गलत लोगों के संपर्क में आ गई है, जिससे उनके बीच दूरियां बढ़ गई थीं.

आजकल कहां गायब है मटुकनाथ की जुली 

बाद में जुली अपने परिवारवालों के पास सूरीनाम चली गई, लेकिन बताया जाता है कि जुली को परिवारवालों ने स्वीकार नहीं किया तो जुली अपनी एक सहेली के पास कैरिेबियाई देश त्रिनिदाद चली गई. उसके बाद से उसकी मानसिक और शारीरिक हालत बिगड़ने लगी. बताया जाता है कि जुली किसी अस्पताल में मौत से जूझ रही है. 

प्रोफेसर मटुकनाथ का क्या हुआ 

जुली के जाने के बाद प्रोफेसर मटुकनाथ अकेले पड़ गए और अभी भागलपुर में रहते हैं. उनका कहना है कि जुली से प्यार के चलते उनके परिवार ने भी उन्हें नहीं अपनाया. मटुकनाथ के बेटे ने तो कभी अपना चेहरा बाप को नहीं दिखाया. इसके अलावा पत्नी से भी मटुकनाथ का कोई संबंध नहीं रह पाया. 

मटुकनाथ ने जुली को कई बार बुलाया पर वह नहीं आई 

कहा जाता है कि प्रोफेसर मटुकनाथ ने जुली को कई बार भारत आने का अनुरोध किया पर वह आने को तैयार नहीं हुई. प्रोफेसर मटुकनाथ कहते हैं कि उसे अब मेरे साथ नहीं रहना. वह मेरे बिना ही रहना चाहती है. यही कारण है कि अब मैं अपनी बची जिंदगी अकेले गुजार रहा हूं. 

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