Mahavir Mandir Patna: विश्व प्रसिद्ध तिरुपति लड्डू बनाने में घटिया सामग्री और पशु चर्बी के कथित उपयोग को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है.
महावीर मंदिर में को प्रसाद के रूप में चढ़ाने के बाद भक्तजन इसे मिठाई के रूप में अपने घरों में रखते हैं. लोगों का कहना है कि भगवान को भोग लगाने के बाद नैवेद्यम के स्वाद का मुकाबला कोई मिठाई नहीं कर सकता है. आंकड़ों की मानें तो हर महीने लगभग 1 लाख किलोग्राम के आसपास मंदिर काउंटर से नैवेद्यम लड्डू की बिक्री होती है.
नैवेद्यम बनाने के दौरान कारीगर पवित्रता और शुद्धता का पूरा ध्यान रखते हैं. इसके लिए मंदिर से दूर राजधानी के बुद्ध मार्ग में एक कारखाना भी बनाया गया है. हर दिन यहां 64 कारीगर प्रतिदिन अलग-अलग शिफ्ट में काम करते हैं. नैवेद्यम बनाने वाले एक कारीगर ने बतायि कि रात दो बजे से ही सभी कारीगर प्रसाद बनाने में जुट जाते हैं.
प्रसाद बनाने से पहले सभी कारीगर स्नान के बाद पूजा-पाठ करके साफ कपड़े धारण करके प्रसाद बनाते हैं. इस कारखाने में एक दिन में 10 हजार किलोग्राम के आस पास नैवेद्यम बनाने की क्षमता है.
नैवेद्यम बनाने के लिए कर्नाटक से नंदिनी के नाम से घी आता है. वहीं नैवेद्यम के लिए काजू, किसमिस और इलायची केरल से मंगाया जाता है. बता दें कि महावीर मंदिर में नैवेद्यम लड्डू 330 रुपए प्रति किलोग्राम बिकता है. इस बिक्री में हुए लाभ से संस्थान अस्पताल सहित कई अन्य जरिए लोगों की मदद की जाती है.
नैवेद्यम बनाने के लिए कारखाने की मिल में ही दाल से बेसन तैयार किया जाता है. उसके बाद बेसन को लगभग 5-7 मिनट तक पानी के साथ मिक्स किया जाता है. इसके बाद शुद्ध बेसन से नैवेद्यम के लिए बुंदिया तैयार की जाती है. इसके बाद तैयार बुंदिया में चीनी की चासनी डालकर उसे मिलाया जाता है.
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