Mithilanchal State: राबड़ी देवी ने बिहार को तोड़कर अलग मिथिलांचल राज्य बनाने की मांग की है. कांग्रेस और सीपीआईएम ने इसका समर्थन किया है. बीजेपी विधायक हरिभूषण ठाकुर ने इसका विरोध किया है.
मिथिला क्षेत्र उत्तर बिहार का इलाका है, जहां मैथिली भाषा बोली जाती है. यहां के लोग लंबे समय से मिथिला को अलग राज्य बनाने की मांग कर रहे हैं. मिथिला राज्य की मांग पहली बार 1912 में उठी थी. इसके बाद 1921 में महाराजा रामेश्वर सिंह ने यह मांग की थी.
मिथिला राज्य के लिए पहली बार आंदोलन 1952 में हुआ, जिसके बाद से ये मामला बार-बार तूल पकड़ रहा है. 2022 में पहली बार दिल्ली के जंतर-मंतर में आंदोलन किया गया था. जिसमें आम आदमी पार्टी के विधायक भी शामिल हुए थे.
मैथिली भाषी लोगों की संख्याबल की बात की जाय तो 7 करोड़ से अधिक लोगों का अस्तित्व से जुड़ा हुआ है. मैथली भाषा भी संविधान के अष्टम अनुसूची में दर्ज है. मिथिलांचल के लोगों का कहना है कि कोई भी सरकार की ओर से योजना-परियोजना आती है तो उसको मगध में दे दिया जाता है.
बता दें कि प्राचीन भारत से अबतक बिहार कई बार टूट चुका है. महाभारत काल में बिहार काफी बड़ा क्षेत्र हुआ करता था. उस समय इस क्षेत्र में तीन महाजनपद थे- अंग, मगध, और वज्जीसंघ. दुर्योधन ने कर्ण को अंग देश का राजा बना था. मगध का राजा जरासंध था तो वहीं वज्जि संघ में एक गणतंत्र राज्य था.
प्राचीन भारत के इतिहास में बिहार को अंग देश के नाम से जाना जाता था. इसमें पश्चिम बंगाल, ओडिशा और झारखंड भी शामिल था. वहीं बंग देश में आज का बांग्लादेश और नेपाल का काफी हिस्सा था. कलिंग में दक्षिण भारत के हिस्सा आता था.
मौर्यकाल में हुई लड़ाईयों में अंग देश से काफी हिस्सा टूटता गया. इसी कालखंड में पश्चिम बंगाल भी टूटकर बंग में शामिल हो चुका था. 16 अक्टूबर 1905 को अंग्रेजों ने बंगाल को दो टुकड़ों में तोड़ दिया था. इसे बंगभंग के नाम से भी जाना जाता है.
1 अप्रैल 1936 को अंग्रेजों ने एक बार फिर से बिहार को तोड़कर ओडिशा अलग किया. इसमें पश्चिम बंगाल का भी कुछ हिस्सा शामिल था. पहले इसका नाम उड़ीसा था.
15 नवंबर 2000 को बिहार फिर से एक बार टूटा और झारखंड की स्थापना हुई. बिहार के पठारी भाग को तोड़कर झारखंड की स्थापना की गई थी.
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