Mahashivaratri 2023 Date and Time: साल 2023 में कब है महाशिवरात्रि, जानिए शुभ समय, मुहूर्त और तारीख
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Mahashivaratri 2023 Date and Time: साल 2023 में कब है महाशिवरात्रि, जानिए शुभ समय, मुहूर्त और तारीख

Mahashivaratri 2023 Date and Time: शिवरात्रि के पर्व को शिव विवाह के रुप में भी मनाया जाता है. अगर आप इस दिन व्रत रहते हैं, तो भगवान शिव की असीम अनुकंपा आप पर अवश्य बरसेगी. इस दिन भगवान शिव के पूजन के समय व्रत कथा कहने से भी विशेष लाभ मिलता है.

Mahashivaratri 2023 Date and Time: साल 2023 में कब है महाशिवरात्रि, जानिए शुभ समय, मुहूर्त और तारीख

पटनाः Mahashivaratri 2023 Date and Time: साल 2022 खत्म होने में अब लगभग केवल एक महीना रह गया है. इसके बाद 1 जनवरी से 2023 की शुरुआत होगी. सनातन परंपरा के अनुसार अंग्रेजी वर्ष के शुरुआत के दो महीनों में दो प्रमुख त्योहार आते हैं. एक बसंत पंचमी और दूसरा है महाशिवरात्रि. माघ मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है. असल में शिवरात्रि हर महीने आती है और माघ मास की शिवरात्रि में वर्ष भर की 12 शिवरात्रियों के व्रत को पूर्णता दी जाती है, इसीलिए इसे महाशिवरात्रि कहा जाता है. 

जानिए कब है शिवरात्रि
शिवरात्रि के पर्व को शिव विवाह के रुप में भी मनाया जाता है. अगर आप इस दिन व्रत रहते हैं, तो भगवान शिव की असीम अनुकंपा आप पर अवश्य बरसेगी. इस दिन भगवान शिव के पूजन के समय व्रत कथा कहने से भी विशेष लाभ मिलता है. शिव भक्तों को इस दिन शिव चालीसा जरूर पढ़नी चाहिए. भगवान शिव के भक्तों और अनुयायियों में अब बालक-युवा, बुजुर्ग सभी शामिल हैं. ऐसे में आपको ये जरूर जानना चाहिए कि भगवान शिव का प्रमुख त्योहार अगले साल महाशिवरात्रि कब है. शुभ मुहूर्त क्या है? साथ ही आप कैसे इस दिन महादेव की पूजा कर सकते हैं. 

18 फरवरी को है शिवरात्रि
इस बार महाशिवरात्रि 18 फरवरी 2023 को है. पंचांग और पूजा के अनुसार महादेव की निशीथ काल की पूजा मध्यरात्रि में 12 बजकर 15 मिनट से 01 बजकर 06 मिनट तक होगी. इस दौरान पूजा का शुभ मुहूर्त है. महादेव शिव की पूजा के लिए ॐ नमः शिवाय का जाप 108 बार करें. इसके साथ ही जल चढ़ाते हुए भी इस मंत्र का जाप करते रहें. महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग को पंचामृत से स्नान कराएं, साथ ही ‘ॐ नमः शिवायः’ मंत्र से पूजा करनी चाहिए. इसके बाद रात्रि के चारों प्रहर में शिवजी की पूजा करनी चाहिए और अगले दिन प्रातःकाल ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करना चाहिए.

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