Maa kalratri Puja: नवरात्रि के सातवें दिन करें मां कालरात्रि की पूजा, मिलेगी शत्रुओं से मुक्ति और सौभाग्य में होगी वृद्धि
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Maa kalratri Puja: नवरात्रि के सातवें दिन करें मां कालरात्रि की पूजा, मिलेगी शत्रुओं से मुक्ति और सौभाग्य में होगी वृद्धि

  Maa kalratri Puja:आज नवरात्रि के सातवें दिन पूरे देश में मां कालरात्रि की पूजा की जाती है. माता के दर्शने के लिए मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है. आज से मां शक्ति के दर्शन के लिए मंदिर के कपाल पूरी तरह से खोल दिए जाते हैं.

(फाइल फोटो)

पटना :  Maa kalratri Puja:आज नवरात्रि के सातवें दिन पूरे देश में मां कालरात्रि की पूजा की जाती है. माता के दर्शने के लिए मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है. आज से मां शक्ति के दर्शन के लिए मंदिर के कपाल पूरी तरह से खोल दिए जाते हैं. ऐसे में शारदीय नवरात्रि के सातवें दिन मां शक्ति के सातवें रूप कालरात्रि की पूजा का विधान है. ऐसे में बता दें कि मां कालरात्रि की पूजा के लिए रात्रि का समय बहुत शुभ माना गया है. मां के इस रूप के पूजन से शत्रुओं से मुक्ति मिलने के साथ सौभाग्य में वृद्धि होती है. 

कालरात्रि क्यों?  
माता भगवती के सातवें स्वरूप कालरात्रि का रूप मां ने शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज जैसे दैत्य का विनाश करने के लिए धारण किया था. ऐसे में मान्यता है कि मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश करनेवाली हैं और इसलिए उनको कालरात्रि के नाम से पूजा जाता है. यह मां कालरात्रि तीन नेत्रों वाली देवी हैं. यही वजह है कि इनकी पूजा से भय और रोगों का नाश होता है और भूत-प्रेत, अकाल मृत्यु, रोग, शोक आदि से भक्तों को मां छुटकारा दिलाती हैं.

क्या है सप्तमी का शुभ मुहूर्त
1 अक्टूबर 2022 को रात 08:46 से सप्तमी तिथि प्रारंभ हो रही है. ऐसे में मां के इस कालरात्रि रूप की पूजा मंदिरों में रात से ही प्रारंभ हो रही है. वैसे भी मां के इस रूप की रात में पूजा से अच्छे और सुखद फल प्राप्ति का विधान है.  2 अक्टूबर को शाम 06:47 पर यह तिथि समाप्त हो जाएगी और अष्टमी तिथि प्रारंभ हो जाएगी. ऐसे में पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 04.43 से सुबह 05.31 तक है जिसे ब्राह्म मुहूर्त भी कहते हैं. जबकि अभिजीत मुहूर्त की बात करें तो यह सुबह 11.52 से दोपहर 12.40 तक रहेगा. वहीं अमृत काल रात 07.50 से रात 09.20 तक रहेगा.

मां कालरात्रि की पूजा कैसे करें
माता के इस रूप की पूरी निष्ठा और सच्चे मन से पूजा के लिए सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में प्रातः स्नान करने के बाद ही पूजा आरंभ करनी चाहिए. स्नान करके पवित्र हो जाने के बाद घी का दीपक जलाएं और फिर मां को लाल रंग के फूल अर्पित करें. मां कालरात्रि को भोग में मिष्ठान, पंच मेवा, पांच प्रकार के फल, अक्षत, धूप, गंध, पुष्प और गुड़ चढ़ावें. इस पूजा में गुड़ का विशेष महत्व है.

मां कालरात्रि का पूजा मंत्र 
मां कालरात्रि की पूजा का बीज मंत्र - क्लीं ऐं श्रीं कालिकायै नम: है. 
वहीं अगर मां कालरात्रि की कृपा से आपको सिद्धि पानी है तो मां के सिद्ध मंत्र- ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम: का जाप करें. 
इसके साथ ही मां कालरात्रि के प्रार्थना मंत्र - एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥ वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा। वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥ को भी पढ़ सकते हैं. 

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