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Patna: राज्य के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव रेलवे में नौकरी के बदले जमीन घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में पूछताछ के लिए मंगलवार यानि आज दिल्ली में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष पेश हो सकते हैं. सूत्रों ने ये बात की जानकारी दी. केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने इस मामले में पिछले महीने यादव (33) से पूछताछ की थी.
आज दर्ज करा सकते हैं बयान
सूत्रों ने बताया कि ED ने सीबीआई की प्राथमिकी के आधार पर धन शोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) की आपराधिक धाराओं के तहत एक अलग मामला दर्ज किया था और उसके मंगलवार को राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख लालू प्रसाद के बेटे तेजस्वी यादव का बयान दर्ज करने की उम्मीद है. ईडी ने इस मामले में 25 मार्च को तेजस्वी यादव की बहन एवं सांसद मीसा भारती से भी पूछताछ की थी.
दोनों केंद्रीय एजेंसियों ने इस मामले में हाल में कार्रवाई शुरू की. सीबीआई ने लालू प्रसाद तथा उनकी पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी से पूछताछ की थी तथा ईडी ने राजद प्रमुख के परिवार के ठिकानों पर छापे मारे थे. ईडी ने छापेमारी के बाद कहा कि उसने एक करोड़ रुपये की 'आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक नकदी' बरामद की और अपराध में इस्तेमाल 600 करोड़ रुपये के लेन-देन का पता लगाया है.
उसने कहा कि प्रसाद के परिवार और उनके सहयोगियों की तरफ से रियल एस्टेट समेत विभिन्न क्षेत्रों में किए गए और निवेश का पता लगाने के लिए जांच की जा रही है. कथित घोटाला उस समय हुआ था, जब प्रसाद 2004-09 की अवधि के दौरान केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन- प्रथम नीत सरकार में रेल मंत्री थे.
सीबीआई ने लगाए है ये आरोप
सीबीआई का आरोप है कि भारतीय रेलवे के विभिन्न क्षेत्रों में समूह 'डी' पदों पर विभिन्न व्यक्तियों को नियुक्त किया गया था और इसके बदले में संबंधित व्यक्तियों ने तत्कालीन रेल मंत्री प्रसाद के परिवार के सदस्यों को और इस मामले में लाभार्थी कंपनी 'एके इंफोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड' को अपनी जमीन हस्तांतरित की थी. CBI का आरोप है कि नियुक्ति के लिए कोई विज्ञापन या सार्वजनिक नोटिस जारी नहीं किया गया था, लेकिन पटना के कुछ निवासियों को मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर में स्थित विभिन्न जोनल रेलवे में स्थानापन्न के रूप में नियुक्त किया गया था. सीबीआई द्वारा लालू एवं उनकी पत्नी राबड़ी देवी से पूछताछ के बाद तेजस्वी यादव ने संवाददाताओं से कहा कि तत्कालीन रेल मंत्री प्रसाद के पास नौकरी के बदले रोजगार देने का कोई अधिकार नहीं था.
(इनपुट भाषा के साथ)