Anant Chaturdashi: जानिए क्या है अनंता का अर्थ, अनंत चतुर्दशी पर कैसे बांधे 14 गांठ वाला रक्षासूत्र
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Anant Chaturdashi: जानिए क्या है अनंता का अर्थ, अनंत चतुर्दशी पर कैसे बांधे 14 गांठ वाला रक्षासूत्र

Anant Chaturdashi: अनंत चतुर्दशी की व्रत-पूजा के अलावा इस दिन एक उपाय जरूर करें. अनंत चतुर्दशी के दिन अनंत सूत्र हाथ में बांधें, इसे बांधने से जीवन की सारी बाधाएं-कष्‍ट दूर होते हैं. अनंत सूत्र हर काम में सफलता दिलाता है.

 

Anant Chaturdashi: जानिए क्या है अनंता का अर्थ, अनंत चतुर्दशी पर कैसे बांधे 14 गांठ वाला रक्षासूत्र

पटनाः Anant Chaturdashi: सनातन परंपरा में अनंत चतुर्दशी का बहुत महत्व है. इस दिन गणपति विसर्जन के साथ गणेशोत्‍सव पर्व भी समाप्‍त होता है. यह तिथि विष्‍णु जी को समर्पित है. इस दिन भगवान विष्‍णु की पूजा करना, व्रत रखना, कथा पढ़ना बहुत शुभ फल देता है. साथ ही इस दिन 14 गांठ वाला विशेष रक्षासूत्र जरूर धारण करना चाहिए. भगवान विष्‍णु की कृपा से यह रक्षासूत्र जीवन की हर बाधा दूर कर देता है. 

अनंत चतुर्दशी के दिन ये उपाय करें
अनंत चतुर्दशी की व्रत-पूजा के अलावा इस दिन एक उपाय जरूर करें. अनंत चतुर्दशी के दिन अनंत सूत्र हाथ में बांधें, इसे बांधने से जीवन की सारी बाधाएं-कष्‍ट दूर होते हैं. अनंत सूत्र हर काम में सफलता दिलाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भगवान विष्णु को अर्पित किया जाने वाला यह 14 गांठों का रक्षासूत्र 14 लोकों का प्रतिनिधित्व करता है. अनंत चतुर्दशी के दिन विधि-विधान से इसे बांधने और व्रत-पूजा करने से अक्षय पुण्य फल की प्राप्ति होती है. 

सबसे शक्तिशाली रक्षासूत्र होता है अनंता
अनंत चतुर्दशी पर बांधे जाने वाला 14 गांठ वाला सूत्र 14 लोकों (भूर्लोक, भुवर्लोक, स्वर्लोक, महर्लोक, जनलोक, तपोलोक, ब्रह्मलोक, अतल, वितल, सतल, रसातल, तलातल, महातल और पाताल लोक) का प्रतीक माना गया है. इसकी हर गांठ प्रत्येक लोक का प्रतिनिधित्व करती है. रेशम की डोर से बना ये सूत्र जातक का रक्षा कवच होता है, इसे बांधने के बाद भय से मुक्ति मिलती है. मान्यता है कि जो पूरे चौदह साल तक सभी नियम से पूजा पाठ करके चौदह गांठ वाला अनंत सूत्र बांधता है उसपर भगवान विष्णु की कृपा बरसती है और बैकुंठ प्राप्त होता है.

अनंत चतुर्दशी 2022 रक्षासूत्र धारण करने की विधि 
अनंत चतुर्दशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके साफ कपड़े पहनें. मंदिर जाकर या घर पर पूजा करें. इसके लिए एक कलश स्थापित करके उस पर धतु का पात्र रखकर भगवान अनंत की स्थापना करें. यह भगवान विष्‍णु का ही रूप हैं. फिर सूत या रेशमी धागे को हल्दी और केसर से रंगकर उसमें 14 गांठे लगाकर रक्षासूत्र तैयार करें. भगवान को फल, पुष्प, हल्दी, अक्षत और प्रसाद आदि अर्पित करके विधि-विधान से पूजा करें. आखिर में अनंत चतुर्दशी की व्रत कथा पढ़ें और फिर दाएं हाथ में अनंत सूत्र धारण करें.

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