Bihar New District: बिहार में बीते कई सालों से नए जिले बनाने की मांग हो रही है. ऐसे में आज हम आपको किसी भी राज्य में बनाए जाने वाले नए जिले से होने वाले फायदे के बारे में बताने जा रहे हैं.
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पटना: भारत में आजादी के बाद से ही समय और जरुरत के हिसाब से कभी अलग राज्य तो कभी राज्यों में अलग जिले बनाए गए. कई बार सरकारों ने लोगों की मांग को पूरा करते हुए नए राज्यों की स्थापना की तो कभी नए जिलों को बनाने की मंजूरी दी गई. हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बगहा को नया राजस्व जिला बनान का आश्वासन दिया. जिसके बाद से बिहार में और नए जिले बनाने की मांग तेज हो गई है. बता दें कि बिहार में फिलहाल कुल 38 जिले हैं. नीतीश कुमार का बिहार की सत्ता में आने के बाद से एक भी नए जिले का निर्माण नहीं हुआ है. बिहार में आखिरी नया जिला राबड़ी देवी के शासनकाल में अरवल को बनाया गया था.
बिहार के बगहा के अलावा पटना से अलग बाढ़ को और मधुबनी से अलग कर झंझारपुर को नया जिला बनाने की मांग काफी पुरानी है. साथ ही पूर्वी और पश्चिमी चंपारण का भी नए सिरे से सीमांकन करके नया जिला बनाने की मांग की जा रही है. इसी तरह मधुबनी, भागलपुर और रोहतास में भी एक एक नए जिले की मांग की जा रही है. ऐसे में क्या आपको पता है कि एक नया जिला बनाने के वहां के लोगों को क्या फायदा होता है. नया जिला बनाना मतलब जनता को उसके घर तक सहूलियत पहुंचाने जैसा होता है.
विकास की रफ्तार तेज
विशेषज्ञों की मानें तो किसी बड़े जिले को बांटकर छोटे जिले बनाने से विकास की राह बड़े जिले के मुकाबले आसान हो जाती है. वहीं, छोटे जिलों में गुड गवर्नेंस से लोगों के जीवनस्तर में सुधार होता है. शहरों के साथ साथ गांवों और कस्बों से भी जिला मुख्यालय की दूरी कम हो जाती है. इससे आम लोगों और प्रशासन के बीच संवाद बढ़ता है. वहीं, छोटे जिले में सरकारी मशीनरी भी तेज रफ्तार से काम करती है. छोटे जिलों में विकास की रफ्तार तेज होने के साथ साथ कानून-व्यवस्था पर भी नियंत्रण में रखना काफी आसान हो जाता है. इसके अलावा सरकारी योजनाएं को आम लोगों तक जल्दी व आसानी से पहुंचाया जा सकता है. वहीं, राज्य सरकार को भी इससे राजस्व में फायदा मिलता है.
आखिरी गांव तक पहुंच
किसी बड़े जिले को छोटे जिले में बांट दिया जाता है तब प्रशासन की पहुंच आखिरी गांव तक हो जाती है. प्रशासनिक अधिकारियों को गुड गवर्नेस के लिए ज्यादा परेशानी नहीं होती है. विकास की रफ्तार को गति मिलने के साथ साथ प्रशासनिक व्यवस्थाओं पर भी नजर बनाए रखना आसान हो जाता है. जिलों का आकार छोटा होने से संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल, समय की बचत होने, बेहतर प्लानिंग और प्रशासन-जनता के बेहतर संवाद से विकास को रफ्तार मिलती है.