Kanya Pujan: नवरात्रि का व्रत और पूजा बिना कन्या पूजन के सफल नहीं मानी जाती है. कहा जाता है कि चैत्र और शारदीय नवरात्रि की अष्टमी या नवमी तिथि पर 9 कन्याओं के पूजन का विशेष महत्व है. इसे कंजक पूजन के नाम से भी जानते हैं.
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पटनाः Kanya Pujan: नवरात्रि का व्रत और पूजा बिना कन्या पूजन के सफल नहीं मानी जाती है. कहा जाता है कि चैत्र और शारदीय नवरात्रि की अष्टमी या नवमी तिथि पर 9 कन्याओं के पूजन का विशेष महत्व है. इसे कंजक पूजन के नाम से भी जानते हैं. कन्या पूजन अष्टमी और नवमी के दिन की जाती है. कन्या पूजन के दौरान कन्याओं को तरह-तरह के पकवान बनाकर भोजन कराया जाता है. इस लेख के जरिए हम आपको बताएंगे कि कन्या पूजन करने का मुहूर्त कब है और इसकी सही विधि क्या है और कन्या पूजन के दौरान किन गलतियों को करने से बचना चाहिए.
अष्टमी शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि 02 अक्टूबर को शाम 06 बजकर 47 मिनट से शुरू हो जाएगी जो 3 अक्टूबर को शाम 04 बजकर 37 मिनट पर खत्म हो जाएगी. अष्टमी तिथि पर अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 46 बजे से दोपहर 12 बजकर 34 मिनट तक रहेगा.
कन्या पूजन में न करें ये गलती
- कन्याओं का गलती से भी अपमान न करें.
- कन्याओं को खिलाने के लिए बनाने वाले भोजन में लहसुन प्याज का प्रयोग बिल्कुल न करें.
- कन्या को भोजन कराने से पहले भोजन को जूठा न करें और न ही उस दिन कन्या भोजन के पहले किसी दूसरे को भोजन कराएं.
- कन्याओं के साथ भेदभाव बिल्कुल न करें.
इस उम्र की कन्याओं को कराएं भोजन
कन्याओं की आयु 2 वर्ष से ऊपर और 10 वर्ष तक होनी चाहिए. इनकी संख्या कम से कम 9 तो होनी ही चाहिए. इनके साथ एक लड़के को बिठाने की भी मान्यता है.
कन्या पूजन का महत्व
कन्या पूजन के दौरान छोटी बच्चियों को माता रानी का रूप माना है. ऐसे में नवरात्रि में उनकी पूजा करने से देवी मां काफी प्रसन्न होती है. मान्यता है कि कन्याओं को भोजन कराने से विवाहित महिलाओं की सूनी गोद भर जाती है. यानी कि उन्हें स्वस्थ संतान की प्राप्ति होती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कन्याओं के रूप में मां दुर्गा स्वयं अपने अलग-अलग रूपों में कन्या पूजन करने आती हैं. अगर आप भी मां भगवती से अपनी हर मुराद पूरी करवाना चाहते हैं तो कन्या पूजन जरूर करें.