Jitiya Jivitputrika Vrat 2024: नहाय-खाय से शुरू हुआ जितिया व्रत, जानें पारण का समय
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Jitiya Jivitputrika Vrat 2024: नहाय-खाय से शुरू हुआ जितिया व्रत, जानें पारण का समय

Jitiya Jivitputrika Vrat: इस साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 24 सितंबर 2024 को दोपहर 12:38 बजे से शुरू होगी और 25 सितंबर 2024 को दोपहर 12:10 बजे खत्म होगी. इसलिए, उदया तिथि के अनुसार जितिया व्रत 25 सितंबर 2024, बुधवार को रखा जाएगा.

 

Jitiya Jivitputrika Vrat 2024: नहाय-खाय से शुरू हुआ जितिया व्रत, जानें पारण का समय

Jitiya Jivitputrika Vrat 2024: जितिया व्रत की शुरुआत 24 सितंबर 2024 से हो रही है. यह व्रत मुख्य रूप से माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए करती हैं. मिथिला क्षेत्रीय पंचांग के अनुसार इस साल जितिया व्रत 24 सितंबर मंगलवार को रखा जाएगा. इस व्रत के साथ जुड़ी परंपराओं में नहाय-खाय की विशेष महत्व है. इस दिन महिलाएं पवित्र नदी में स्नान करती हैं और घर में तेल और खीर का भोग लगाती हैं. इसके अलावा, पितरों को भोजन अर्पण करने और ओठगन की परंपरा भी सदियों से चली आ रही है.

आचार्य मदन मोहन के अनुसार जितिया व्रत का शुभ मुहूर्त और तिथि अष्टमी तिथि 24 सितंबर 2024 को दोपहर 12:38 बजे से शुरू होगी और 25 सितंबर 2024 को दोपहर 12:10 बजे समाप्त होगी. उदया तिथि के अनुसार जितिया व्रत इस साल 25 सितंबर, बुधवार को मनाया जाएगा. इस दिन व्रत का पारण यानी व्रत खोलने का सही समय शुभ मुहूर्त के आधार पर होता है.

  • ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:35 से 5:22 तक
  • अमृत काल: दोपहर 12:11 से 1:49 तक
  • प्रातः संध्या: सुबह 4:59 से 6:10 तक
  • विजय मुहूर्त: दोपहर 2:12 से 3:00 तक
  • गोधूलि मुहूर्त: शाम 6:13 से 6:37 तक
  • सायंकाल संध्या: शाम 6:13 से 7:25 तक

साथ ही सप्तमी तिथि 23 सितंबर सोमवार को रात 7:31 बजे के बाद शुरू हुई है. यह नहाय-खाय की परंपरा जगह और व्यवहार पर निर्भर करती है. आचार्य मदन मोहन के अनुसार माताएं अपने बच्चों की दीर्घायु और शुभकामना के लिए इस व्रत को रखती हैं. माना जाता है कि इस व्रत को करने से कभी संतान का वियोग नहीं होता है.

जितिया व्रत का आध्यात्मिक महत्व अष्टमी तिथि को किया जाने वाला यह व्रत धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है. धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि मनुष्यों के अलावा जानवरों द्वारा भी इस व्रत का पालन किया जाता है. एक कथा में चील और सियारिन की कहानी प्रसिद्ध है, जिसमें उन्होंने व्रत का उल्लंघन किया और उनके बच्चों की अकाल मृत्यु हो गई. इस प्रकार, जितिया व्रत का पालन करने से संतान की सुरक्षा और लंबी आयु की कामना की जाती है.

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