ITR Filing: Form 16 में दी रकम से ज्‍यादा बचा सकते हैं टैक्‍स, इस आसान फॉर्मूले से करें क्‍लेम
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ITR Filing: Form 16 में दी रकम से ज्‍यादा बचा सकते हैं टैक्‍स, इस आसान फॉर्मूले से करें क्‍लेम

केंद्र सरकार द्वारा आयकर रिटर्न दाखिल करने की लास्ट डेट को आगे बढ़ाने की संभावना बहुत कम दिखाई दे रही है. इसलिए अगर आप टैक्सपेयर हैं, तो बिना वक्त गंवाए अपना ITR दाखिल कर दें.

प्रतीकात्मक तस्वीर

Form 16 News: इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने में अब महज कुछ ही दिन बचे हैं. सरकार द्वारा जारी आदेश के मुताबिक, सभी लोगों को 31 जुलाई 2023 से पहले-पहले तक अपना ITR जरूर फाइन कर देना होगा. अगर आप टैक्स के दायरे में आते हैं और समय पर आईटीआर नहीं भरेंगे तो आपको जुर्माना देना होगा. अगर आप टैक्स के दायरे में आते हैं और समय पर आईटीआर नहीं भरेंगे तो आपको जुर्माना देना होगा. केंद्र सरकार द्वारा आयकर रिटर्न दाखिल करने की लास्ट डेट को आगे बढ़ाने की संभावना बहुत कम दिखाई दे रही है. इसलिए अगर आप टैक्सपेयर हैं, तो बिना वक्त गंवाए अपना ITR दाखिल कर दें. आईटीआर फाइल करने में सबसे बड़ी समस्या होती है कि कौन-कौन से दस्तावेजों की जरूरत पड़ेगी? बता दें कि ITR फाइल करने के लिए फॉर्म 16 एक अहम डॉक्यूमेंट होता है. 

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Form 16 नहीं होने पर...

नौकरीपेशा लोगों ये फॉर्म कंपनी की ओर से दिया जाता है. इसमें कर्मचारी की सैलरी से टैक्स कटने की पूरी जानकारी होती है और साथ ही दी गई सैलरी की भी जानकारी होती है. अब सवाल ये है कि यदि फॉर्म 16 नहीं मिला तो भी आईटीआर भरा जा सकता है. इनकम टैक्स का नियम कहता है कि अगर कोई कंपनी किसी कर्मचारी की सैलरी पर टीडीएस काटती है, तो उसे टीडीएस सर्टिफिकेट जारी करना जरूरी है. कुछ कर्मचारियों की सैलरी आयकर के दायरे में नहीं आती है. ऐसे में कंपनी उनके लिए फॉर्म 16 जारी नहीं करती है. अगर आपके पास फॉर्म 16 नहीं है तो फॉर्म 26AS की सहायता से आईटीआर दाखिल कर सकते हैं. फार्म 26AS में Tax की जानकारी होती है.

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फॉर्म-16 की रकम से ज्‍यादा रिफंड क्‍लेम

फॉर्म-16 में दर्ज रकम से ज्‍यादा भी रिफंड क्‍लेम किया जा सकता है. इससे आपको एक पैसा भी टैक्स नहीं देना पड़ेगा. दरअसल, मैक्सिमम टैक्‍स रिटर्न पाने के लिए सबसे पहले आपको सही रिजीम का चुनाव करना चाहिए. एक्सपर्ट का कहना है कि अगर आपके पास PPF, ELSS, होम लोन या इंश्‍योरेंस जैसे टैक्‍स बचाने वाले निवेश के विकल्‍प नहीं हैं तो ज्‍यादा रेट से टैक्‍स देना समझदारी नहीं होगी. लिहाजा कम रेट पर टैक्‍स जमा करने के लिए नया रिजीम चुना जा सकता है. तो अपने डिडक्‍शन को ध्‍यान में रखते हुए टैक्‍स कैलकुलेट कीजिए और जिस रिजीम में ज्‍यादा पैसे बच रहे हों, उसकी का चुनाव इनकम टैक्‍स रिटर्न भरते समय कीजिए.

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