Gupta Navratri Kali Puja Vidhi: मां काली को प्रसन्न करने की ये है सबसे सरल विधि, गुप्त नवरात्रि के पहले दिन ऐसे करें पूजा
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Gupta Navratri Kali Puja Vidhi: मां काली को प्रसन्न करने की ये है सबसे सरल विधि, गुप्त नवरात्रि के पहले दिन ऐसे करें पूजा

Gupta Navratri Kali Puja Vidhi: गुप्त नवरात्रि पर देवी काली की पूजा के लिए सरल नियम हैं. माता के इस रूप की पूरी निष्ठा और सच्चे मन से पूजा के लिए सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में प्रातः स्नान करने के बाद ही पूजा आरंभ करनी चाहिए.

Gupta Navratri Kali Puja Vidhi: मां काली को प्रसन्न करने की ये है सबसे सरल विधि, गुप्त नवरात्रि के पहले दिन ऐसे करें पूजा

पटनाः Gupta Navratri Kali Puja Vidhi: माघ मास के में गुप्त नवरात्रि का अनुष्ठान आठों सिद्धि और नौ निधि को प्रदान करने वाला है. गुप्त नवरात्रि के दौरान विशेष तौर पर सिद्ध और तांत्रिक तंत्र साधना करते हैं, लेकिन इस दौरान  गृहस्थ जन भी विशेष पूजा-अर्चना करते हैं. गुप्त नवरात्र का पहला दिन काली पूजा के लिए निश्चित होता है. मां काली ही देवी कालरात्रि का स्वरूप हैं. देवी की पूजा से शत्रु नाश, रोग नाश, भय-शोक और प्रेत बाधा का हनन होता है.

ये है मां की पूजा की सरल विधि
गुप्त नवरात्रि पर देवी काली की पूजा के लिए सरल नियम हैं. माता के इस रूप की पूरी निष्ठा और सच्चे मन से पूजा के लिए सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में प्रातः स्नान करने के बाद ही पूजा आरंभ करनी चाहिए. स्नान करके पवित्र हो जाने के बाद घी का दीपक जलाएं और फिर मां को लाल रंग के फूल अर्पित करें. मां काली को भोग में मिष्ठान, पंच मेवा, पांच प्रकार के फल, अक्षत, धूप, गंध, पुष्प और गुड़ चढ़ावें. इस पूजा में गुड़ का विशेष महत्व है.

मां कालरात्रि का पूजा मंत्र 
मां कालरात्रि की पूजा का बीज मंत्र - क्लीं ऐं श्रीं कालिकायै नम: है. 
वहीं अगर मां कालरात्रि की कृपा से आपको सिद्धि पानी है तो मां के सिद्ध मंत्र- ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊं कालरात्रि दैव्ये नम: का जाप करें. 

ये है मां का प्रार्थना मंत्र
मां काली की पूजा के साथ मां के लिए प्रार्थना मंत्र का भी जाप करें. मां कालरात्रि का प्रार्थना मंत्र बहुत सिद्ध है. इसमें उनकी भयानक असुर संहारक रूप का वर्णन है, साथ ही भक्तों और संतजनों पर उनकी कृपादृष्टि के बारे में भी बताता है.
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥ 
वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा। 
वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥ 

 

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