Rinharta Ganesha Strot: बैंक का लोन हो या महाजन का कर्ज, बुधवार को करें ये पाठ तो होगी ऋणमुक्ति
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Rinharta Ganesha Strot: बैंक का लोन हो या महाजन का कर्ज, बुधवार को करें ये पाठ तो होगी ऋणमुक्ति

आर्थिक समस्याओं से कर्ज से परेशान हैं तो हर बुधवार को ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. ऐसा करने से भगवान गणेश का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में उन्नति के मार्ग प्रशस्त होते हैं.

Rinharta Ganesha Strot: बैंक का लोन हो या महाजन का कर्ज, बुधवार को करें ये पाठ तो होगी ऋणमुक्ति

पटनाः Rinharta Ganesha Strot: जीवन में जरूरत पड़ने पर कभी न कभी तो ऋण की जरूरत पड़ती ही है. ऐसे में कई बार आप कर्ज के जंजाल में फंस जाते हैं. कर्ज लेने को शास्त्रों में बहुत अच्छा नहीं बताया गया है, लेकिन बहुत संकटपूर्ण स्थितियों में कर्ज लेने में कोई बुराई नही है. कई बार ऐसी स्थिति आ जाती है कि कर्ज कष्ट बन जाता है. अगर आपके साथ भी ऐसा है तो बुधवार का दिन इस बाधा को दूर करने का सबसे उत्तम दिन है.

बुधवार को करें यह पाठ
आर्थिक समस्याओं से कर्ज से परेशान हैं तो हर बुधवार को ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. ऐसा करने से भगवान गणेश का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में उन्नति के मार्ग प्रशस्त होते हैं. इस पाठ के करने से जीवन में धीरे-धीरे सुख-समृद्धि आती है और विघ्न भी दूर होते हैं. ध्यान रखें कि ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र का पाठ करने के बाद भगवान गणेश की आरती जरूर करें.

ये है ऋणहर्ता गणेश स्त्रोत

॥ ध्यान ॥
ॐ सिन्दूर-वर्णं द्वि-भुजं गणेशं लम्बोदरं पद्म-दले निविष्टम् ।
ब्रह्मादि-देवैः परि-सेव्यमानं सिद्धैर्युतं तं प्रणामि देवम् ॥

॥ मूल-पाठ ॥
सृष्ट्यादौ ब्रह्मणा सम्यक् पूजित: फल-सिद्धए ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

त्रिपुरस्य वधात् पूर्वं शम्भुना सम्यगर्चित: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

हिरण्य-कश्यप्वादीनां वधार्थे विष्णुनार्चित: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

महिषस्य वधे देव्या गण-नाथ: प्रपुजित: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

तारकस्य वधात् पूर्वं कुमारेण प्रपूजित: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

भास्करेण गणेशो हि पूजितश्छवि-सिद्धए ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

शशिना कान्ति-वृद्धयर्थं पूजितो गण-नायक: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

पालनाय च तपसां विश्वामित्रेण पूजित: ।
सदैव पार्वती-पुत्र: ऋण-नाशं करोतु मे ॥

इदं त्वृण-हर-स्तोत्रं तीव्र-दारिद्र्य-नाशनं,
एक-वारं पठेन्नित्यं वर्षमेकं सामहित: ।
दारिद्र्यं दारुणं त्यक्त्वा कुबेर-समतां व्रजेत् ॥

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