राजधानी पटना का ये हाल! नाव पर चढ़कर पढ़ने जा रहे नौनिहाल
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राजधानी पटना का ये हाल! नाव पर चढ़कर पढ़ने जा रहे नौनिहाल

बिहार में नदियों के बढ़ते जलस्तर की वजह से हर साल प्रदेश भर के लोग बाढ़ सहित तमाम तरह की परेशानियों का सामना करते हैं. हर साल सरकार की तरफ से नदियों में उफान से पहले दावा किया जाता है कि सबकुछ व्यवस्थित कर लिया गया है और इससे निपटने की सारी तैयारी कर ली गई है.

(फाइल फोटो)

पटना: बिहार में नदियों के बढ़ते जलस्तर की वजह से हर साल प्रदेश भर के लोग बाढ़ सहित तमाम तरह की परेशानियों का सामना करते हैं. हर साल सरकार की तरफ से नदियों में उफान से पहले दावा किया जाता है कि सबकुछ व्यवस्थित कर लिया गया है और इससे निपटने की सारी तैयारी कर ली गई है. फिर भी बिहार में हर साल गंगा, कोसी और गंडक सहित तमाम नदियों का बढ़ता जलस्तर और इससे पैदा होते हालात सारे प्रशासनिक दावों की पोल खोलते नजर आते हैं. 

आपको बता दें कि बिहार में मानसून की बारिश ने जहां एक तरफ नदियों के जलस्तर में तेजी से वृद्धि की है वहीं एक बार फिर से प्रशासन के सभी दावों की पोल खुलती नजर आ रही है. भागलपुर सहित बिहार के वह तमाम जिले जिससे होकर पतित पावनी गंगा गुजरती है उसके जलस्तर में इतनी तेजी से वृद्धि हुई है कि इसके किनारे बसने वाले लोग खौफजदा हो गए हैं. 

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बिहार की राजधानी पटना में जहां से सुशासन की एक शर्मनाक तस्वीर देखने को मिली है. यहां एक जिले से दूसरे जिले पढ़ाई के लिए छात्र-छात्राएं नाव से यात्रा कर अपने स्कूल जाने को मजबूर हैं. मामला है पटना सिटी के नदी थाना क्षेत्र के कच्ची दरगाह इलाके का. जहां गंगा का जल स्तर बढ़ने के बाद हर साल की तरह इस बार भी गंगा पार जाने के लिए गंगा नदी पर बना दो लेन का पीपा पुल खोल दिया गया है. जिसके कारण दियारा वासियों को अब नाव की सवारी करनी  पड़ रही है.  

नाव में क्षमता से अधिक यात्रियों को गंगा पार कराया जा रहा है. वहीं लोग भी मजबूरी में उफनती गंगा में मौत का सफर करने को मजबूर हैं. इस नाव के सफर में स्कूल के छात्र भी शामिल हैं. जहां रुस्तमपुर इलाके में कोई स्कूल नहीं रहने के कारण अपने भविष्य को बनाने के लिए सैकड़ों छात्र नाव की सवारी कर कच्ची दरगाह के स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते हैं. वहीं छात्र के परिजन को किसी अनहोनी की चिंता हर रोज सताती है लेकिन बच्चे के भविष्य को देखते हुए बड़ा जोखिम उठाने को तैयार हैं. 
(Report- Praveen Kant)

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