जदयू से मतभेद के बीच बिहार के लिए बीजेपी ने तैयार किया 'मास्टर प्लान'
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जदयू से मतभेद के बीच बिहार के लिए बीजेपी ने तैयार किया 'मास्टर प्लान'

भाजपा के देश भर के नेता 28 और 29 जुलाई को बिहार के अलग-अलग विधान सभा क्षेत्रों में 48 घंटे का प्रवास करेंगे. जानकारी के अनुसार, भाजपा आलाकमान ने टारगेट के अनुसार मतदाताओं तक पहुंचने की रणनीति तैयार की है. 

बीजेपी नेता सीधे मतदाताओं और स्थानीय नेताओं के साथ संवाद करेंगे.

 पटना: बिहार में प्रदेश स्तर पर भाजपा और जेडीयू नेताओं के बीच जारी घमासान के बीच भाजपा ने पूरे बिहार में पार्टी संगठन को मजबूत करने के लिए एक खास 'प्लान' तैयार किया है. जानकारी के अनुसार, भाजपा ने बिहार के सभी 243 विधान सभा क्षेत्रों में पार्टी संगठन को मजबूत करने के लिए इस 'प्लान' के तहत अपने नेताओं को 48 घंटे यानी 2 दिन के लिए सभी विधानसभा क्षेत्रों में प्रवास पर भेजेगी, जहां जाकर ये नेता सीधे मतदाताओं और स्थानीय नेताओं के साथ संवाद करेंगे. 

48 घंटे प्रवार करेंगे बीजेपी नेता
इस रणनीति के मुताबिक, भाजपा के देश भर के नेता 28 और 29 जुलाई को बिहार के अलग-अलग विधान सभा क्षेत्रों में 48 घंटे का प्रवास करेंगे. जानकारी के अनुसार, भाजपा आलाकमान ने टारगेट के अनुसार मतदाताओं तक पहुंचने की रणनीति तैयार की है. 

इस तरह काम करेंगे नेता
इसके मुताबिक पार्टी के दलित नेता दलित बहुल, आदिवासी नेता आदिवासी बहुल, मुस्लिम नेता अल्पसंख्यक बहुल, ओबीसी नेता अन्य पिछड़ा वर्ग बहुल क्षेत्रों में जाकर मतदाताओं से संवाद स्थापित कर सरकार की उपलब्धियों की जानकारी देंगे. इसी तर्ज पर युवा मोर्चा, किसान मोर्चा और महिला मोर्चा के नेता भी अलग-अलग विधान सभा क्षेत्रों में जाकर जनसंपर्क करेंगे.

जेपी नड्डा होंगे शामिल
28 और 29 जुलाई के इस 48 घंटे के प्रवास के बाद भाजपा के सभी मोर्चा के नेता 30 और 31 जुलाई को पटना में बैठक करेंगे. दो दिवसीय बैठक का उद्घाटन 30 जुलाई को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा करेंगे.

बीजेपी-जदयू में बढ़ रही खटास!
आपको बता दें कि, थोड़े समय को छोड़ कर बिहार में नीतीश कुमार (Nitish Kumar) और भाजपा का लंबा साथ रहा है. भाजपा और जेडीयू ने मिलकर बिहार में कई विधान सभा और लोक सभा चुनाव साथ लड़े हैं लेकिन पिछले कुछ समय से दोनों दलों के बीच खटास बढ़ती जा रही है. 

बिहार भाजपा प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल और जेडीयू राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह गठबंधन सहयोगी होने के बावजूद लगातार एक दूसरे पर हमला बोलते रहते हैं. दरअसल, 2020 में हुए बिहार विधान सभा चुनाव में भाजपा, जेडीयू, हम और वीआईपी पार्टी एनडीए गठबंधन के बैनर तले मिलकर चुनाव लड़ी थी. 

राज्य में केवल 110 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली भाजपा ने शानदार स्ट्राइक रेट के साथ 74 सीटों पर जीत हासिल की वहीं नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को 115 सीटों पर लड़ने के बावजूद केवल 43 सीटों पर ही जीत हासिल हुई. कम विधायक होने के बावजूद भाजपा ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया लेकिन सरकार गठन के बाद से ही रह-रहकर नीतीश कुमार की नाराजगी की खबरें आती रहती हैं. 

बिहार को विशेष राज्य का दर्जा, अग्निवीर योजना (Agneeveer Scheme) सहित कई मुद्दों पर दोनों दलों के मतभेद खुल कर सामने आ चुके हैं. हाल ही में हुए आरसीपी सिंह (RCP Singh) प्रकरण से भी यह साबित हो गया कि गठबंधन में सब कुछ ठीकठाक नहीं चल रहा है.

'नीतीश बनें रहेंगे सीएम'
हालांकि शीर्ष स्तर पर भाजपा आलाकमान की तरफ से सार्वजनिक तौर पर लगातार यही बयान दिया जा रहा है कि गठबंधन मजबूत है और नीतीश कुमार 2025 तक मुख्यमंत्री बने रहेंगे.

(आईएएनएस)

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