बारिश की कमी से जूझ रहे हैं बिहार के जिले, परेशान किसान कर रहे सूखा घोषित करने की मांग
Advertisement
trendingNow0/india/bihar-jharkhand/bihar1275310

बारिश की कमी से जूझ रहे हैं बिहार के जिले, परेशान किसान कर रहे सूखा घोषित करने की मांग

बिहार में सिर्फ दो जिलों में औसत से अधिक बारिश हुई है. इनमें किशनगंज और अररिया शामिल हैं, बाकी जितने भी जिले हैं वे सभी कम बारिश से जूझ रहे हैं.

बारिश की कमी से जूझ रहे हैं बिहार के जिले, परेशान किसान कर रहे सूखा घोषित करने की मांग

पटनाः बिहार में मानसून की बेरूखी ऐसी है कि राज्य में अकाल की स्थिति देखी जा रही है. आलम यह है कि सिर्फ दो जिलों के अलावा सभी के सभी जिलों में औसत से कम बारिश हुई है. सावन महीना खत्म होने को है, लेकिन,खेत में दरारें देखी जा रही हैं. नदी,नाले,नहर,पाइन सब सूखा है.बारिश नहीं होने से किसानों और लोगों ने सूखा घोषित की मांग करने लगे हैं. सूखे का सबसे ज्यादा असर दक्षिण बिहार के जिला नालंदा, गया, जहानाबाद, औरंगाबाद, रोहतास समेत अन्य जिलों में देखने को मिल रहा है. बिहार में अबतक मात्र 242 मिलीमीटर वर्षा हुई है, जो औसत 45 फीसदी से भी कम है. सामान्य वर्षापात 442.3 होनी चाहिए. मौसम विभाग के आंकड़े बताते हैं कि बारिश नहीं के बराबर हुई है. 

बिहार में सिर्फ दो जिलों में औसत से अधिक बारिश
बिहार में सिर्फ दो जिलों में औसत से अधिक बारिश हुई है. इनमें किशनगंज और अररिया शामिल हैं, बाकी जितने भी जिले हैं वे सभी कम बारिश से जूझ रहे हैं. सबसे कम बारिश अरवल में  -76 फीसदी बारिश हुई है.
औरंगाबाद, बांका, भभुआ, गया, नालंदा, शेखपुरा, शिवहर, जहानाबाद, कटिहार, सहरसा, मधेपुरा में औसत से साठ फीसदी कम बारिश हुई है. मौसम विभाग की माने तो मानसून का टर्फ लाइन बिहार से नीचे है.मजबूत रुप से मानसून बिहार के उपर नहीं आ सका. उम्मीद है आने वाले दिनों में अच्छी बारिश हो. इधर,कम बारिश का असर धान की रोपनी पर पड़ा है. धान की रोपनी काफी कम है जो कि पच्चीस फीसदी तक नहीं हो पाई है. राज्य में धान की रोपनी केवल 23% हुई है.

खेतों में दरार, धान की रोपनी पर असर
इधर,बारिश की कमी की बजह से किसान परेशान हैं और जैसे तैसे खेती कर रहें है. खेत में दरार के बीच वे बोरिंग से धान की रोपनी कर रहे हैं. धान की रोपनी कर रहे किसान बताते हैं कि बारिश की उम्मीद में धान की रोपाई नहीं हो पा रही है. कम बारिश का असर पाइन आहर पर पड़ा है. सभी के सभी सूखे हैं. हिम्मत बांध कर किसान बोरिंग के दम पर रोपनी कर रहें है. बीघा दो बीघा धान की रोपनी को बोरिंग की पानी से सिचाई कर रहे हैं. अकाल की दस्तक इससे समझी जा सकती है कि गया की फल्गु नदी रेगि्स्तान में बदल गई है. नदी में एक बूंद पानी नहीं है. दूर-दूर तक रेत ही रेत है. बूंदा बांदी बारिश से इस रेगिस्तान का पेट नहीं भरने वाला है. नतीजा है कि इन इलाको में पानी का जल स्तर गिरता जा रहा है. बारिश न होने से परेशान किसान अब इस इंतजार में हैं कि किसान सूखे की घोषणा करे. ताकि कुछ राहत मिल सके. 

यह भी पढ़िएः भागलपुर में युवक ने जान जोखिम में डाल तीन बच्चियों की बचाई जान, डीआईजी ने किया सम्मानित

Trending news