Hajipur Lok Sabha: क्यों हाजीपुर की विरासत के लिए चिराग पासवान और पशुपति के बीच होती रही रस्साकशी? इस मैदान के महारथी रहे थे रामविलास पासवान
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Hajipur Lok Sabha: क्यों हाजीपुर की विरासत के लिए चिराग पासवान और पशुपति के बीच होती रही रस्साकशी? इस मैदान के महारथी रहे थे रामविलास पासवान

Hajipur Lok Sabha Seat Profile: वैशाली जिले की इस लोकसभा सीट के किंग रामविलास पासवान को कहा जा सकता है. कुल 9 बार लोकसभा सांसद रहे रामविलास पासवान ज्यादातर इसी सीट से चुनाव जीतते रहे हैं. दो बार तो वे इतनी ज्यादा वोटों से जीते कि इतिहास ही कायम हो गया.

चिराग पासवान-पशुपति पारस

Hajipur Lok Sabha Seat Profile: हाजीपुर लोकसभा सीट... जिसके लिए चिराग पासवान ने इस बार अपने सारे घोड़े खोल दिए थे. उधर, 2019 में यह सीट जीतने वाले पशुपति कुमार पारस ने भी हाजीपुर बचाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था. चिराग हाजीपुर सीट को लेकर भाजपा की ओर देख रहे थे और पशुपति यह कहते हुए इस पर अपनी दांत किटकिटाए हुए थे कि उनके बड़े भाई रामविलास पासवान ने जीते जी यह सीट उन्हें सौंपी थी. हालांकि बुधवार को चाचा और भतीजे की इस नूराकुश्ती पर विराम लग गया और भाजपा ने यह सीट चिराग की झोली में डाल दी. पशुपति कुमार पारस को हाजीपुर सीट छोड़ने के एवज में राज्यपाल पद का ऑफर दिया गया है और उनके भतीजे प्रिंस कुमार पासवान को बिहार की सरकार में मंत्री पद देने की पेशकश की गई है. अब आते हैं हाजीपुर सीट की खासियत पर. आखिर क्यों हाजीपुर सीट रामविलास पासवान की सबसे पसंदीदा सीट रही और क्यों इस सीट को लेकर चाचा और भतीजा आमने सामने आ गए थे. 

हाजीपुर सीट का इतिहास 

वैशाली जिले की इस लोकसभा सीट के किंग रामविलास पासवान को कहा जा सकता है. कुल 9 बार लोकसभा सांसद रहे रामविलास पासवान ज्यादातर इसी सीट से चुनाव जीतते रहे हैं. दो बार तो वे इतनी ज्यादा वोटों से जीते कि इतिहास ही कायम हो गया. इस सीट की खासियत है कि भाजपा अभी तक यहां अपना खाता भी नहीं खोल पाई है. 1957 के लोकसभा चुनाव में यह सीट अस्तित्व में आई थी. उस समय यहां से एक साथ 2 सांसद चुने जाते थे. 

  • 1957 में कांग्रेस से इस सीट पर राजेश्वर पटेल और चंद्रमणि लाल चौधरी चुने गए थे. 
  • 1962 में राजेश्वर पटेल एक बार फिर कांग्रेस के टिकट पर सांसद बने. 
  • 1967 में कांग्रेस से ही वाल्मीकि चौधरी चुनाव जीते थे.  
  • 1971 में कांग्रेस ओ से दिग्विजय नारायण सिंह चुने गए थे.
  • 1977 में यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हो गई और उसके बाद से यहां एक तरह कांग्रेस विरोध की लहर पैदा हो गई. तब रामविलास पासवान पहली बार इस सीट से 4 लाख 24 हजार 545 वोटों से भारतीय लोकदल से सांसद चुने गए थे. तब उन्हें इस सीट पर 89.30 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे. 
  • 1980 में जनता पार्टी सेक्यूलर की ओर से रामविलास पासवान ने यहां दूसरी बार जीत दर्ज की थी. 
  • 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए चुनाव में कांग्रेस के प्रति सहानुभूति लहर में रामविलास पासवान चुनाव हार गए थे. 
  • 1989 में जनता दल की ओर से रामविलास पासवान ने कांग्रेस प्रत्याशी महावीर पासवान को 5 लाख 4 हजार 448 वोटों से हराया था. 

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  • 1991 में रामविलास पासवान ने सीट बदल ली थी और वे रोसड़ा से उम्मीदवार बनाए गए थे. तब इस सीट से जनता दल से रामसुंदर दास यहां से जीते थे. 
  • 1996 और 1998 में रामविलास पासवान एक बार फिर हाजीपुर सीट से चुने गए. 
  • 1999 में वे जेडीयू के टिकट पर हाजीपुर से चुनाव जीते. 
  • 28 अक्टूबर 2000 को रामविलास पासवान ने अपनी लोक जनशक्ति पार्टी बनाई. 
  • 2004 में वे अपनी पार्टी से हाजीपुर से सांसद चुने गए थे. 
  • 2009 में रामविलास पासवान पहली बार हाजीपुर से चुनाव हार गए थे और तब रामसुंदर दास चुनाव जीत थे. 
  • 2014 में रामविलास पासवान एक बार फिर हाजीपुर से सांसद चुने गए थे.
  • 2019 में रामविलास पासवान ने इस सीट से पशुपति कुमार पारस को चुनाव मैदान में उतारा था. 

कितनी विधानसभा सीटें आती हैं हाजीपुर लोकसभा सीट में 

  • हाजीपुर सदर 
  • लालगंज
  • महुआ 
  • राजा पाकड़ 
  • राधौपुर 
  • महनार 

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रामविलास पासवान को भी जान लीजिए 

हाजीपुर सीट के बारे में तो हमने आपको जानकारी दे दी. अब आपको इस मैदान के महारथी रामविलास पासवान को भी जान लेना चाहिए. रामविलास पासवान समकालीन राजनीति में देश के प्रमुख दलित नेताओं में से एक थे. भारतीय लोकदल से सफर शुरू करते हुए रामविलास पासवान ने अपनी अलग राजनीतिक पार्टी बना ली थी. इससे पहले वे कई दलों से चुनाव लड़ते रहे. रामविलास पासवान को उनके आलोचक 'मौसम वैज्ञानिक' भी कहा करते थे. इन आलोचकों की लिस्ट में लालू प्रसाद यादव का नाम सबसे आगे आता है. 'मौसम वैज्ञानिक' नाम भी लालू प्रसाद यादव का ही दिया हुआ है. 'मौसम वैज्ञानिक' उन्हें इसलिए कहा जाता था कि वे अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी तीनों सरकारों में मंत्री रहे थे. 

रामविलास पासवान 9 बार लोकसभा, एक बार राज्यसभा और एक बार विधायक भी रहे. जेपी आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लेने वाले रामविलास पासवान 1969 में पहली बार संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के प्रत्याशी के रूप में चुने गए थे. इमरजेंसी का विरोध करने पर रामविलास को जेल भी जाना पड़ा था. रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान अभी जमुई लोकसभा सीट से सांसद हैं. 2019 में लोजपा से 6 सांसद चुने गए थे तो 2020 में लोक जनशक्ति पार्टी का केवल एक विधायक चुना गया था. बाद में वह विधायक भी जेडीयू में शामिल हो गए थे.

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