Bihar Abortion Rule: केंद्र सरकार द्वारा संशोधित अधिनियम मेडिकल टर्मिनेशन आफ प्रेग्नेंसी के तहत प्रदेश सरकार ने 18 मेडिकल बोर्ड गठित किए हैं. सरकार की ओर से इन आयोगों को ही गर्भपात की अनुमति देने का अधिकार भी प्रदान किया है.
एक महिला के लिए 'गर्भपात' कराने का फैसला लेना बेहद मुश्किल भरा और कष्टदायक होता है. केंद्र सरकार ने हाल ही में 'गर्भपात' के नियमों में बदलाव किया है. इसके बाद बहस छिड़ी हुई है.
बिहार सरकार ने 18 मेडिकल बोर्ड गठित किए हैं. इन आयोगों को ही गर्भपात की अनुमति देने का अधिकार भी प्रदान किया है, मतलब अब गर्भपात की इजाजत लेनी होगी.
मेडिकल बोर्ड 9 सप्ताह से लेकर 24 सप्ताह के तक गर्भ के गर्भपात की अनुमति प्रदान करने में सक्षम होगा.
बिना बोर्ड की अनुमति गर्भपात पूरी तरह से गैर कानूनी माना जाएगा और आरोपी को सजा भी मिलेगी.
यदि कोख में बच्चा गंभीर किस्म के शारीरिक या मानसिक रोग से ग्रस्त है या फिर दिव्यांग है तो गर्भपात की मंजूरी मिल सकती है.
अगर गर्भावस्था में महिला का वैवाहिक संबंध टूट जाए या विधवा हो जाए तो भी गर्भपात की अनुमति लेकर गर्भपात करा सकती है.
नए कानून में महिलाओं को गर्भपात को लेकर कई प्रकार के वैधानिक अधिकार प्रदान किए गए हैं.
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