Hazaribagh News: दुधिया नाला में मिले डायनासोर से पहले के जीव होने के संकेत
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Hazaribagh News: दुधिया नाला में मिले डायनासोर से पहले के जीव होने के संकेत

Jharkhand News : रामगढ़ जिले के पतरातू से 20 किलोमीटर दूर मांडू के पास है. जीएसआइ के उपमहानिदेशक अखौरी विश्वप्रिया बताते हैं कि दुधियानाला अपने आप में एक विशिष्ट साइट हो गया है. झारखंड में इससे पुराने जीवाश्म होने के संकेत और कहीं नहीं मिले हैं.

Hazaribagh News: दुधिया नाला में मिले डायनासोर से पहले के जीव होने के संकेत

रांची: हजारीबाग जिले के दुधिया नाला में डायनासोर से पहले के जीवों के संकेत मिले हैं. इन जीवाश्मों के संरक्षण के लिए जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआइ) ने प्रयास शुरू किए हैं. जीएसआइ ने इस स्थल पर एक डॉक्यूमेंट्री भी तैयार की है, जो दुधिया नाले के भूगर्भीय इतिहास के बारे में जानकारी देती है.

भारत सरकार के खान मंत्री जी किशन रेड्डी ने ऐसे पौराणिक स्थलों के संरक्षण पर जोर दिया है और इसे जियो टूरिज्म सेंटर के रूप में विकसित करने का निर्देश दिया है. दुधिया नाला रामगढ़ जिले के पतरातू से लगभग 20 किलोमीटर दूर मांडू के पास स्थित है. जीएसआइ के उपमहानिदेशक अखौरी विश्वप्रिया ने बताया कि दुधिया नाला एक अनूठी साइट है. झारखंड में इस प्रकार के पुराने जीवाश्मों के संकेत कहीं और नहीं मिले हैं. यहां कोयले का खनन भी हो रहा है, और दुधिया नाला के संकेत बहुत सारी जानकारी प्रदान करते हैं.

बता दें कि यहां के पत्थर बताते हैं कि कभी इस क्षेत्र में ग्लेशियर हुआ करता था. यह इलाका गोंडवाना लैंड का हिस्सा था. कई भूवैज्ञानिक घटनाओं के कारण यह क्षेत्र बर्फ से ढका हुआ था और कुछ घटनाओं ने ग्लेशियर की घाटियों में गहरी दरारें पैदा कर दीं. उस समय यह इलाका अंटार्कटिका और भारत तक फैला हुआ था. यहां अंतिम महान हिमयुग के प्रमाण भी मिले हैं, जो भारत प्रायद्वीप को निगलनेवाले थे. 

दुधिया नाला तीन प्रकार की भूगर्भीय संरचनाओं का संगम है: तालचिर, करहरबारी और बराकर. इन संरचनाओं का तलछट विभिन्न ग्लेशियरों और हिमनदों के आगे बढ़ने, पीछे हटने और स्थिर रहने के संकेत देता है. दुधिया बोकारो बेसिन प्री कैम्ब्रियन के ऊपर स्थित है. प्री कैम्ब्रियन को ग्रेनाइट से दर्शाया गया है, जबकि बलुआ पत्थर और सिल्टस्टोन यहां के अन्य विकल्प हैं. यह क्षेत्र इंद्रा और जारवा गांवों के पूर्व और दक्षिण-पूर्व में स्थित है, और लगभग 3.5 किलोमीटर तक करहरबारी संरचना दिखाई देती है.

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