Bihar News: बिहार में हथकड़ी वाले 'गुरुजी'! मिली नियुक्ति वाली चिट्ठी
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Bihar News: बिहार में हथकड़ी वाले 'गुरुजी'! मिली नियुक्ति वाली चिट्ठी

बिहार में शिक्षक भर्ती परीक्षा के जरिए जिन 1 लाख 10 हजार से ज्यादा छात्रों का चयन हुआ है. उन्हें योगदान कराया जा रहा है. ऐसे में बिहार में जेल में बंद एक 'गुरुजी' भी हैं जिनके हाथों में हथकड़ी जरूर थी लेकिन, उन्हें योगदान के लिए नियुक्ति पत्र जारी किया गया.

फाइल फोटो

Bihar News: बिहार में शिक्षक भर्ती परीक्षा के जरिए जिन 1 लाख 10 हजार से ज्यादा छात्रों का चयन हुआ है. उन्हें योगदान कराया जा रहा है. ऐसे में बिहार में जेल में बंद एक 'गुरुजी' भी हैं जिनके हाथों में हथकड़ी जरूर थी लेकिन, उन्हें योगदान के लिए नियुक्ति पत्र जारी किया गया. दरअसल बिहार पुलिस भर्ती परीक्षा में सेटिंग करने आरोप में यह नव नियुक्त गुरुजी जेल में बंद थे. उसने शिक्षक भर्ती परीक्षा पास कर लिया और अब उन्हें नियुक्ति पत्र का आवंटन भी किया गया है. 

बख्तियारपुर प्रखंड के भटौनी पंचायत का रहनेवाला चंदन शर्मा बिहार पुलिस भर्ती परीक्षा में सेटिंग करने का आरोपी था और इसी मामले में वह सहरसा जेल में बंद था. यहां से वह बिहार लोक सेवा आयोग की तरफ से आयोजित शिक्षक भर्ती परीक्षा को पास कर गया और हाथ में हथकड़ी पहने ही नियुक्ति पत्र लेने सिमरी बख्तियारपुर के BEO ऑफिस पहुंचा जहां तमाम वैरिफिकेशन के बाद अधिकारी रंजन शर्मा ने उसे लेटर सौंप दिया. 

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चंदन शर्मा जब अपना नियुक्ति पत्र लेने बीईओ के ऑफिस पहुंचा था तो उसके हाथ में हथकड़ी थी और उसके साथ चार पुलिस वाले और एक दरोगा मौजूद थे. ऐसे में बीईओ साहब उसे देखते रह गए. ऐसे में पहले तो बीईओ की तरफ से उसे नियुक्ति पत्र देने से इनकार कर दिया गया. बिदा में कोर्ट ने आदेश दिया तो बीईओ साहब को उसे नियुक्ति पत्र सौंपना पड़ा. 

नियुक्ति पत्र पाने के बाद चंदन शर्मा धनुपरा पंचायत स्थित मध्य विद्यालय सिमरटोका निकल गए. साथ में तब भी दरोगा को जाना था लेकिन दरोगा ने वहां योगदान के समय उसके साथ जाने से इंकार कर दिया. ऐसे में चंदन शर्मा विद्यालय में योगदान नहीं कर पाए. 

दरअसल चंदन शर्मा ने पहले बीपीएससी शिक्षक भर्ती परीक्षा दी और उसके बाद बिहार पुलिस भर्ती परीक्षा में सेटिंग करने के आरोप में सहरसा पुलिस के हत्थे चढ़ गया. जेल में रहते ही उसका बीपीएससी शिक्षक भर्ती परीक्षा का रिजल्ट आया और वह पास हो गया. ऐसे में वह नियुक्ति पत्र लेने जेल से ही पहुंचा. सिमरी बख्तियारपुर के बीईओ की मानें तो उनका काम नियुक्ति पत्र जारी करना था जो उन्होंने किया अब उसे योगदान कराना या ना कराना स्कूल के प्रधानाध्यापक की जिम्मेदारी है.

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