Gaya Pitru Paksha 2024: गया में पिंडदान का क्या है महत्व, तीर्थयात्रियों के लिए प्रशासन की क्या है तैयारी
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Gaya Pitru Paksha 2024: गया में पिंडदान का क्या है महत्व, तीर्थयात्रियों के लिए प्रशासन की क्या है तैयारी

Gaya Pitru Paksha Mela 2024: गया में पिंडदान करने की परंपरा का पौराणिक महत्व है. कहा जाता है कि गयासुर नाम का एक असुर था, जो भगवान विष्णु का बड़ा भक्त था. उसकी भक्ति से भगवान विष्णु प्रसन्न हुए और उसे वरदान दिया. 

Gaya Pitru Paksha 2024: गया में पिंडदान का क्या है महत्व, तीर्थयात्रियों के लिए प्रशासन की क्या है तैयारी

Gaya Pitru Paksha Mela 2024: 17 सितंबर से बिहार के गया में विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला शुरू हो चुका है, जो 2 अक्टूबर तक चलेगा. हर साल की तरह इस साल भी लाखों तीर्थयात्रियों के आने की उम्मीद है. लगभग 15 से 20 लाख लोगों के पहुंचने का अनुमान है, जो अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और तर्पण करेंगे.

जानकारी के लिए बता दें कि पितृपक्ष मेले में इस बार भी बेहतर सुविधाएं दी गई हैं. तीर्थयात्रियों को भीड़ से बचाने के लिए बाईपास के जरिए सीधे मुक्ति धाम होकर देव घाट तक पहुंचने का रास्ता बनाया गया है. यह रास्ता हाल ही में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा शुरू किया गया. साथ ही महंगे होटलों की चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि तीर्थयात्रियों के लिए मुफ्त रहने की व्यवस्था की गई है. गांधी मैदान में 2500 लोगों की क्षमता वाले टेंट सिटी का निर्माण किया गया है, जहां तीर्थयात्री आराम से ठहर सकते हैं. इस टेंट सिटी में 24 घंटे बिजली, पानी और मेडिकल सुविधा भी उपलब्ध है. साथ ही सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे और ड्रोन से निगरानी की जा रही है.

इसके अलावा मुख्यमंत्री के निर्देश पर तीर्थयात्रियों को इस बार गंगा जल उपहार के रूप में दिया जा रहा है. मेले में 24 घंटे एक टोल फ्री नंबर भी उपलब्ध है, ताकि किसी भी तरह की परेशानी में मदद ली जा सके. साथ ही गया में पिंडदान का खास महत्व है. पौराणिक कथा के अनुसार गयासुर नामक एक असुर ने भगवान विष्णु की भक्ति से वरदान प्राप्त किया था. माना जाता है कि गयासुर के दर्शन से पापों से मुक्ति मिलती है. यहां भगवान राम और माता सीता ने राजा दशरथ की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया था. इसलिए यहां पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष प्राप्त होता है और पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है.

पितृपक्ष के दौरान गया में पिंडदान का महत्व और बढ़ जाता है, क्योंकि इस समय को महालया कहा जाता है. मान्यता है कि इस अवधि में पितर गया आते हैं और अपने वंशजों का इंतजार करते हैं, ताकि वे उनके उद्धार और मोक्ष के लिए पिंडदान कर सकें. इस कारण हर साल लाखों लोग पितृपक्ष में यहां आते हैं.

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