Bihar News: ढाई साल से लापता था बच्चा, बाल कल्याण समिति ने आधार कार्ड के जरिए मिला परिवार
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Bihar News: ढाई साल से लापता था बच्चा, बाल कल्याण समिति ने आधार कार्ड के जरिए मिला परिवार

 बिहार के मधुबनी बाल कल्याण समिति को बड़ी कामयाबी मिली है. यहां पर ढाई साल से लापता एक बच्चे के परिवार को तलाश लिया है. जिसके बाद उस बच्चे को परिवार के हवाले कर दिया है. बच्चे को पाकर परिजन बेहद खुश थे

Bihar News: ढाई साल से लापता था बच्चा, बाल कल्याण समिति ने आधार कार्ड के जरिए मिला परिवार

Madhubani: बिहार के मधुबनी बाल कल्याण समिति को बड़ी कामयाबी मिली है. यहां पर ढाई साल से लापता एक बच्चे के परिवार को तलाश लिया है. जिसके बाद उस बच्चे को परिवार के हवाले कर दिया है. बच्चे को पाकर परिजन बेहद खुश थे. 

मूक बधिर था बच्चा
दरअसल, 12 साल का विशेष बच्चा पंकज कुमार मई 2020 में घर से भटक गया था. जिसके बाद परिजनों ने काफी समय तक बच्चे की तलाश की लेकिन वह कहीं भी नहीं मिला. जानकारी के मुताबिक बच्चा अंधराठाढ़ी इलाके में भटक रहा था. जिसके बाद चाइल्ड लाइन टीम को सूचना दी गई. तभी चाइल्ड लाइन टीम के द्वारा बच्चे को रेस्क्यू किया गया. 12 साल का पंकज मूक बधिर था, जिसके कारण वह अपना पता बताने में असमर्थ था. चाइल्ड लाइन टीम ने बालक को बाल कल्याण समिति को सौंप दिया था. समिति के द्वारा बच्चे को बाल गृह में रखने का आदेश दिया. 

बाल कल्याण ने परिवार की तलाश रखी जारी
जिसके बाद बच्चे को लगभग ढाई साल तक मधुबनी के बाल गृह में रखा गया था. इस दौरान बाल कल्याण समिति बच्चे के परिजनों की तलाश के लिए लगातार प्रयास किया गया. बच्चे को लेकर अखबार में विज्ञापन दिया गया, लेकिन परिजनों का पता नहीं चल सका. अध्यक्ष के निर्देश के आलोक में बालक का आधार कार्ड बनवाए जाने हेतु आवेदन दिया गया, जिसे रिजेक्ट कर दिया गया. वहीं, इसके बाद पता चला कि बच्चे का पहले से ही आधार कार्ड बना हुआ है. 

आधार कार्ड के जरिए मिला परिवार
जिसके बाद जानकारी को यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया को भेजा गया. जहां से बच्चे का डुप्लीकेट आधार कार्ड जनरेट हो गया. इसी के आधार पर बच्चे के घर का पता मिल गया.  बच्चे का नाम पंकज कुमार है, जो कि मधुबनी जिला के घोघरडीहा थाना क्षेत्र के नौआबाखर गांव का निवासी है. पता मिलने पर बाल कल्याण समिति ने बच्चे के परिजनों को सूचना दी.  जिसके बाद बच्चे को समिति कार्यालय में कागजी प्रक्रिया पूरी होने के बाद परिजनों को सौंप दिया गया.   ढाई साल बाद बच्चे को पाकर परिजनों में काफी खुशी देखने को मिली.

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