गंडक में हैचिंग से बढ़ाई जा रही घड़ियालों की संख्या, मछुआरों को दिया जा रहा प्रशिक्षण
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गंडक में हैचिंग से बढ़ाई जा रही घड़ियालों की संख्या, मछुआरों को दिया जा रहा प्रशिक्षण

Hatching: घड़ियालों के लिए गंडक नदी वरदान साबित हो रही है. दरअसल कुछ प्रयासों से बिहार में घड़ियालों की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है. पश्चिम चंपारण के बगहा में नेपाल और उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया और ग्रामीणों के संयुक्त कोशिश से ये सब संभव हो पा रहा है.

गंडक में हैचिंग से बढ़ाई जा रही घड़ियालों की संख्या, मछुआरों को दिया जा रहा प्रशिक्षण

बगहा:Hatching: घड़ियालों के लिए गंडक नदी वरदान साबित हो रही है. दरअसल कुछ प्रयासों से बिहार में घड़ियालों की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है.
पश्चिम चंपारण के बगहा में नेपाल और उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया और ग्रामीणों के संयुक्त कोशिश से ये सब संभव हो पा रहा है. इतना ही नहीं स्थानीय मछुआरे भी घड़ियालों की तादात बढ़ने में अपना पूरा योगदान दे रहे हैं. कुछ गड़बड़ ना हो इसके लिए मछुआरों को बकायदा प्रशिक्षण दिया जाता है.

WTI का हैचिंग पर फोकस
बगहा में बहने वाली गंडक नदी में हैचिंग कराकर घड़ियालों को छोड़ा जाता है. वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया ग्रामीणों और मछुआरों की मदद से इस काम को अंजाम तक पहुंचा पा रही है.  इस बार भी सैकड़ों की संख्या में घड़ियालों का हैचिंग कराकर गंडक नदी में छोड़ा गया है. वहीं इससे पहले भी 300 से ज्यादा घड़ियाल थे. हैचिंग के बाद  इनकी संख्या बढ़कर करीब 500 हो चुकी है. वर्ष 2016 से लेकर अब तक वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया और वन एवं पर्यावरण विभाग बिहार की ओर से घड़ियाल के 350 से ज्यादा अंडों को संरक्षित कर उनका हैचिंग कराया जा चुका है. लिहाजा वाल्मीकिनगर से सोनपुर तक घड़ियालों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है. WTI के मुताबिक गण्डक नदी घड़ियालों के लिए एक बेहतर अधिवास साबित हो रहा है.

मछुआरों और ग्रामीणों को प्रशिक्षण
वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया के अधिकारी सुब्रत बहेरा बताते हैं कि गण्डक नदी किनारे पता करना मुश्किल होता है, कि घड़ियालों ने रेत में कहां अंडा दिया है. इस चुनौती से निपटने के लिए WTI और फारेस्ट डिपार्टमेंट ने स्थानीय ग्रामीणों और मछुआरों को प्रशिक्षित करना शुरू किया. उन्हें अंडों के संरक्षण और उसके प्रजनन के गुर सिखाए गए. यही वजह है कि इस साल 2022 में भी गण्डक नदी किनारे वाल्मीकिनगर से रतवल पुल तक 5 जगह घड़ियालों के अंडे मिले हैं. जिन्हें मछआरों ने संरक्षित किया है. इनका भी हैचिंग कराया गया. जिसके बाद तीन जगहों के अंड़ों से सुरक्षित प्रजनन हुआ. जबकि दो स्थानों के अंडे जाल में फंसकर और सियार के जरिए बर्बाद हो गए. तीन जगहों से मिले अंडों का प्रजनन कर 148 घड़ियाल के बच्चों को गण्डक नदी में छोड़ा गया है. 

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भविष्य में और बेहतर होंगे परिणाम 
चंबल नदी के बाद देश में गंडक दूसरी नदी है. जहां घड़ियालों की संख्या बहुत ज्यादा है. लिहाजा WTI और वन एवं पर्यावरण विभाग ने भविष्य में भी घड़ियालों के प्रजनन के लिए ज्यादा से ज्यादा स्थानीय लोगों और मछुआरों को प्रशिक्षित करने की योजना बना रखी है. प्लानिंग के मुताबिक हैचिंग कराकर घड़ियालों की संख्या बढ़ाने की दिशा में तेज़ी से प्रयास किया जा रहा है.

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