Chaturmas Start: सावन से कार्तिक तक के चार महीनों में शुभ कार्य नहीं होते हैं, इसलिए इस समय को खरमास के नाम से भी जाना जाता है. चातुर्मास की शुरुआत देवशयनी या हरिशयनी एकादशी से होती है.
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Chaturmas Start: आने वाली 11 जुलाई से चातुर्मास की शुरुआत हो रही है. सावन से कार्तिक तक के चार महीनों में शुभ कार्य नहीं होते हैं, इसलिए इस समय को खरमास के नाम से भी जाना जाता है. चातुर्मास की शुरुआत देवशयनी या हरिशयनी एकादशी से होती है. सनातन परंपरा में यह वह दिन होता है, जब भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं और चार माह तक विश्राम करते हैं. प्राचीन काल से ही आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से लेकर कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तक के चार महीने सनातन परंपरा में बड़े ही पवित्र और विशेष माने गए हैं. इन दिनों सृष्टि का संचालन महादेव करते हैं. चातुर्मास में क्या सावधानी बरतनी चाहिए, जानिए यहां.
देवशयनी एकादशी की व्रत विधि
देवशयनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें. श्रीहरि की मूर्ति स्थापित कर षोडशोपचार पूजन करें. दूध में केसर मिलाकर भगवान विष्णु का अभिषेक करें. इस दौरान भगवान पर पीतांबर चढ़ाएं, कथा सुनें. अंत में आरती उतारकर प्रसाद बांटें. प्रभु को शयन कराना जरूरी है. ऐसा करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं.
देवशयनी एकादशी पर क्या करें
देवशयनी एकादशी पर पितरों के लिए तर्पण करना चाहिए. शिव-पार्वती की पूजा कर, घी का दीपक जलाएं और सुहाग की चीजें समर्पित करें.
चतुर्मास में बरतें ये सावधानी
सुंदरता बनाए रखने के लिए पंचगव्य का सेवन करें. वंशवृद्धि के लिए नियमित दूध का सेवन करें. आवाज़ अच्छी करने के लिए गुड़ ना खाएं. दीर्घायु होने के लिए तेल का त्याग करें. इसके अलावा सरसों के तेल का त्याग करें. ऐसा करने से आपके दुश्मन खत्म होंगे. साथी ही तेल के त्याग से ऐश्वर्य की भी प्राप्ति होगी. अगर आप चातुर्मास में पुष्प और सुंदर भोगों के का त्याग करते हैं तो सनातन पुण्यों के अनुसार इससे स्वर्ग लाभ होगा. इस दौरान मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए.
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