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Bihar Caste Code: बिहार में अब जातियों की पहचान कोड के जरिए होगी. जातीय जनगणना के पहले चरण का काम खत्म हो चुका है और दूसरे चरण का काम 15 अप्रैल से शुरू होने वाला है. जाति आधारित जनगणना के दूसरे चरण में जातियों की पहचान अलग-अलग कोड के जरिए होगी. जातीय जनगणना में लोगों को उनकी शैक्षणिक योग्यता के आधार पर भी कोड दिया जा रहा है. इतना ही नहीं राज्य सरकार की ओर से एक और कोड तय किया है जो लोगों का पेशा बताएगा.
कुल मिलाकर यदि यह कहें कि जातीय जनगणना से शुरू हुआ काम अब लोगों की निजी जिंदगी तक पहुंच गया है, तो कुछ भी गलत नहीं होगा. अब सबसे बड़ा सवाल है कि सरकार आखिर लोगों को उनकी जाति आधारित कोड के अलावा अन्य कोड क्यों दे रही है? हर कोई सभी अपने-अपने तरीके से इसे समझने और समझाने में लगा है. आज हम भी इसी पर बात कर रहे हैं.
सरकार के पास होगा सटीक आंकड़ा
दरअसल, सरकार इस कदम के जरिए जब चाहें तब यह पता कर सकती है कि उसके राज्य में कितने प्रतिशत लोग कितना पढ़े-लिखे हैं या कितने फीसदी आबादी अनपढ़ लोगों की है. इसी तरह वह व्यवसाय के अनुसार भी लोगों का सही आंकड़ा निकाल सकती है. आसान शब्दों में कहें कि जैसे छन्नी से कोई चीज छानते हैं, ठीक उसी तरह से सरकार भी सबकुछ अलग-अलग करके खास डाटा तैयार कर लेगी.
योजनाएं बनाने में अहम होगा यह डाटा
इसका फायदा यह होगा कि उस विशेष वर्ग के लिए योजनाएं बनाने में सरकार को आसानी हुआ करेगी, क्योंकि सरकार के पास उसका सटीक आंकड़ा पहले से पता होगा. कक्षा 1 से लेकर 12वीं तक के लिए 1 से लेकर 12 तक कोड है. शैक्षणिक योग्यता कोड का असल नंबर 13 से 53 तक के बीच है, क्योंकि यहीं से उच्च शिक्षा या तकनीकि शिक्षा के कोड निर्धारित किए गए हैं.
डाटा के दुरुपयोग का भी खतरा
इससे सरकार को यह पता लग जाएगा कि किस जाति में इस योग्यता के कहां-कितने लोग रोजगार में हैं या बेरोजगार हैं. इसके अलावा सरकार जब चाहे तब पता कर सकती है कि किस जाति के लोग क्या काम कर रहे हैं. हालांकि इसके दुरुपयोग भी बहुत हैं. सरकार या कोई एजेंसी इस आंकड़े को लेकर बहुत बड़ा खेल कर सकती है. फिलहाल इस आंकड़े का कैसे उपयोग या दुरुपयोग होगा, यह भविष्य के गर्त में है.