Teachers Day Special: भागलपुर का ऐसा शिक्षक जो ग्रामीण बच्चों को पढ़ाता है निःशुल्क, अभिभावकों ने बनाया मुखिया
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Teachers Day Special: भागलपुर का ऐसा शिक्षक जो ग्रामीण बच्चों को पढ़ाता है निःशुल्क, अभिभावकों ने बनाया मुखिया

Teachers Day Special: ग्रामीण परिवेश में आज भी ऐसे शिक्षक हैं जो बच्चों को निशुल्क या महज सौ रुपये से दो सौ रुपये में बच्चों को बेहतर शिक्षा देते हैं. ऐसे ही एक शिक्षक भागलपुर के अभिषेक यासीन है जो अभी मुखिया भी हैं

Teachers Day Special: भागलपुर का ऐसा शिक्षक जो ग्रामीण बच्चों को पढ़ाता है निःशुल्क, अभिभावकों ने बनाया मुखिया

भागलपुरः Teachers Day Special: ग्रामीण परिवेश में आज भी ऐसे शिक्षक हैं जो बच्चों को निशुल्क या महज सौ रुपये से दो सौ रुपये में बच्चों को बेहतर शिक्षा देते हैं. ऐसे ही एक शिक्षक भागलपुर के अभिषेक यासीन है जो अभी मुखिया भी हैं. सबौर प्रखंड के ममलखा पंचायत निवासी अभिषेक यासीन विगत कई वर्षो से गांव के बच्चों को अपने घर पर पढ़ा रहे हैं. बच्चों के अभिभावकों और ग्रामीणों को उनका पढ़ाना काफी अच्छा लगता है. 

शिक्षक को चुनाव लड़ने के लिए अभिभावकों ने किया प्रेरित
अभिभावकों को उनका भाव इतना भाया कि शिक्षक अभिषेक यासीन को बीते पंचायत चुनाव में मुखिया पद पर चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया गया. साथ ही जमकर मतदान कर विजयी बनाया गया. अभिषेक यासीन सभी छात्र-छात्राओं को गणित पढ़ाते हैं. साथ ही उनके संस्थान के अन्य शिक्षक बाकी अन्य विषयों की शिक्षा बच्चों को देते हैं. छात्र-छात्राएं मस्त मगन होकर उनसे पढ़ते हैं. छात्राओं ने बताया कि हम हमेशा मन और जुनून से यहां पढ़ते हैं और सर हमेशा आगे बढ़ने के लिए हमें प्रेरित करते हैं. हम यहां गणित पढ़ रहे हैं और पढ़ने में काफी अच्छा लगता है. 

साल 2015 में की थी ग्रेजुएशन 
शिक्षक अभिषेक ने बताया कि उन्होंने साल 2015 में ग्रेजुएशन की थी. उन्हें गांव में छात्र-छात्राओं के लिए चिंता थी कि कैसे उन्हें अच्छी शिक्षा मिले. गांव आए तो बच्चों को पढ़ाना शुरू किया. अभी 400 बच्चे उनके पास पढ़ते हैं. बच्चे के अभिभावक जब मिलते थे तो अपनी पीड़ा सुनाते थे. अभिभावकों ने निस्वार्थ भाव से हमें पंचायत चुनाव में सामने लाया. आर्थिक के साथ-साथ हर तरह की मदद की. उसके बाद मुखिया बनाया. अभी भी बच्चों को पढ़ाते हैं.

कम शुल्क में देते है बच्चो को शिक्षा 
बच्चों के अभिभावक बताते हैं कि मुखिया जी नि शुल्क में या कम शुल्क में उनके बच्चों को पढ़ाते हैं. सबकी मदद करते हैं. इनका स्वभाव भी बढ़िया है. उन लोगों ने मुखिया पद पर चुनाव लड़ने को कहा है. मुखिया बनने के बाद लोगों का व्यवहार बदलता है, लेकिन यह अभी भी वैसे ही है. सच में ऐसे ही शिक्षक समाज को सही राह दिखाते हैं और बच्चों को उनके लक्ष्य तक पहुंचाते हैं.
(रिपोर्ट-अश्विनी कुमार)

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