Sawan 2023: लखीसराय के मंदिरों में दिखा मलमास व पुरुषोत्तम मास का असर, श्रद्धालुओं की संख्या में आई कमी
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Sawan 2023: लखीसराय के मंदिरों में दिखा मलमास व पुरुषोत्तम मास का असर, श्रद्धालुओं की संख्या में आई कमी

Sawan 2023: सावन की तीसरी सोमवारी पर जिले के प्रसिद्ध इन्द्रदमनेश्वर महादेव मंदिर और अशोकधाम मंदिर में मलमास और पुरुषोत्तम मास का असर दिखने लगा है. पिछले दो सोमवारी की तुलना में तीसरी सोमवारी को श्रद्धालुओं की संख्या में भारी कमी देखी गई,

Sawan 2023: लखीसराय के मंदिरों में दिखा मलमास व पुरुषोत्तम मास का असर, श्रद्धालुओं की संख्या में आई कमी

लखीसराय: सावन की तीसरी सोमवारी पर जिले के प्रसिद्ध इन्द्रदमनेश्वर महादेव मंदिर और अशोकधाम मंदिर में मलमास और पुरुषोत्तम मास का असर दिखने लगा है. पिछले दो सोमवारी की तुलना में तीसरी सोमवारी को श्रद्धालुओं की संख्या में भारी कमी देखी गई, लेकिन भक्तों को श्रावणी मेले की तरह ही सुलभ जल अर्पण कराने के लिए व्यवस्था को जारी रखा गया है. 

भक्तों को सुबह से ही कम भीड़ होने के कारण बाबा मंदिर के गर्भगृह में सुगमतापूर्वक जलार्पण कराया जा रहा है. जलार्पण कर बाहर निकल रहे भक्त व्यवस्था की सराहना करते दिखे. मालूम हो कि, श्रावणी मेले की तरह ही बाबा मंदिर का पट अहले सुबह 04:30 मिनट पर खुलने के साथ पुजारी ने सबसे पहले दैनिक पूजा कर आम भक्तों के लिए जलार्पण प्रारंभ कराया. 

बता दें कि पौराणिक काल से चलती आ रही एक मान्यता है कि मलमास में भगवान अपने मंदिर को छोड़कर कहीं चले जाते हैं. जिस वजह से लोग मलमास में पूजा बंद कर देते हैं. लेकिन अशोकधाम मंदिर के पुजारी चंद्रमौलि पांडेय ने बताया कि मलमास माह भगवान विष्णु को बहुत प्यारा होता है. इसलिए इस माह में भगवान विष्णु की पूजा होती है. 

उन्होंने बताया कि लोग कहते हैं मलमास में भगवान मंदिर में नहीं रहते हैं. उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है. इन मास में सभी भक्त ही भगवान विष्णु के पूजा में लीन हो जाते हैं. इस मास का बहुत महत्व है. इसमें भगवान की आराधना करने से अटका हुआ काम पूरा होता है. इसमें अधिक मास होता है इसलिए मलमास कहा जाता है. 

देवाधिदेव महादेव सह सभी देवताओं की पूजन के लिए यह मलमास श्रेष्ठ माने गये हैं. मंदिर के पुजारी चंद्रमौलि पांडेय ने बताया कि अधिक मास को मलमास या पुरुषोत्तम मास भी कहते हैं. इस मास में पूजा-अर्चना करने से हरि भगवान के साथ ही भोलेनाथ की भी कृपा मिलती है. इस बार 2 सावन होने से शिव भक्ति के लिए अधिक समय रहेगा, क्योंकि सावन और सोमवार दोनों ही भोलेनाथ को प्रिय है. अधिक मास में सच्चे मन से आराधना करने से शिव-पार्वती के साथ ही भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी का आर्शीवाद प्राप्त होता है.
इनपुट- राज किशोर मधुकर

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