यूं तो जब से इस दुनिया का वजूद है,और धरती पर पहले इंसान आदम (स ) का अवतरण हुआ तभी से दुनिया में इस्लाम धर्म का अस्तित्व माना जाता है..

मूल सिद्धांतों को छोड़कर

हालांकि, इसके बाद इस्लाम धर्म के अनुयायी कई बार अपने मूल सिद्धांतों को छोड़कर अलग आचरण करने लगे और दुनिया में अब्रह्मिक, इसाई, यहूदी और प्रकृति की उपासना करने वाले धर्म पैदा हो गए.

इस्लाम में पुर्नजागरण

इस्लाम में पुर्नजागरण मोहम्मद साहब के वक़्त 570 से 632 ई के मध्य माना जाता है, जब उन्होंने इस्लाम को अरब की धरती पर पुनर्जीवित किया और वहां से तेज़ी से दुनिया भर में इस्लाम फैलने लगा.

मोहम्मद (स.) के पहले अरब एक बहुधर्मी देश था. यहाँ मूर्ती पूजा होती थी. दुनिया के सबसे अशिष्ट, जाहिल और गंवार लोग यहाँ रहते थे. शराब पीना, चोरी, डकैती, जुआ खेलना और व्यभिचार आम था.

100- 50 पत्नियाँ

महिलाओं की कोई इज्ज़त नहीं थी. आदमी हैसियत के मुताबित 100- 50 तक पत्नियाँ रखता था. विधवाओं का विवाह नहीं होता था.. लड़कियां पैदा होते ही ज़मीन में गाड़ दी जाती थी.

घृणा और अत्याचार

इंसान गुलामों की तरह खरीदे और बेचे जाते थे. गोरा-काला, गरीब- अमीर, कबीलों के बीच भेदभाव था. एक आदमी खुद को दूसरे से श्रेष्ट मानकर उससे घृणा करता था. अपने से कमजोर पर अत्याचार करता था.

काले- गोरे, अमीर- गरीब

ऐसे समय में इस्लाम ने इंसानों के बीच काले- गोरे, अमीर- गरीब का हर तरह के भेदभाव मिटाकर आपसी भाईचारा का सन्देश दिया.. इस्लाम ने गुलामों को भी अधिकार दिया..

अन्धविश्वास और आडम्बर

इस्लाम ने एक ईश्वर का सन्देश दिया और उसे ही मुक्ति का मार्ग बताया. हर तरह के अन्धविश्वास और आडम्बर से लोगों को दूर रहने की सलाह दी और इसे गलत बताया.

इस्लाम का पहला सन्देश

इस्लाम ने अरब के लोगों को पहला सन्देश दिया 'इकरा' का यानी हर आदमी के लिए ज्ञान हासिल करने को फ़र्ज़ बताया. जिससे वो अपने अधिकारों के बारे में जाने और हर चीच पर आँख बंदकर भरोसा न करे.

विधवा विवाह

इस्लाम ने पहली बार लड़कियों को मारने पर पाबन्दी लगाया. विधवा विवाह की इज़ाज़त दी. एक पुरुष की 100- 50 बीवियों की संख्या परिस्थतियों के हिसाब से 4 तक सिमित किया. महिलाओं को भी पति से तलाक का अधिकार दिया. लड़कियों को पिता की संपत्ति में हिस्सा दिया. उसे भी ज्ञान हासिल करने की इज़ाज़त दी.

हलाल और हराम

इस्लाम ने इंसानों के लिए हर काम और खाने- पीने चीज़ों को हलाल (वैध) और हराम (अवैध) में बांटकर, लोगों को हराम चीज़ों से बचने की सलाह दी. दुनिया में किये गए अपने हर काम का कयामत के दिन जवाब देने भय दिखाया.

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