Urdu Poetry in Hindi: मिरी मजबूरियां क्या पूछते हो, कि जीने के लिए मजबूर हूं मैं...
Urdu Poetry in Hindi: अपनी मिट्टी ही पे चलने का सलीक़ा सीखो, संग मरमर पे चलोगे तो...
Urdu Poetry in Hindi: घर में बेचैनी हो तो अगले सफ़र की सोचना, फिर सफ़र नाकाम हो जाए तो...
Urdu Poetry in Hindi: दुनिया से कहो जो उसे करना है वो कर ले, अब दिल में...