कोई ऑटो वाला आखिर क्यों लौटा देता है किसी यात्री का रुपयों से भरा बैग, आप होते तो क्या करते ?
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कोई ऑटो वाला आखिर क्यों लौटा देता है किसी यात्री का रुपयों से भरा बैग, आप होते तो क्या करते ?

इंसान को व्यक्तिगत और सार्वजनिक जीवन में इतना ईमानदार होना चाहिए कि कोई पराया और लावारिस माल भी मिले तो उसे लेने के बजाए उसके मालिक तक पहुंचाने की फिक्र करनी चाहिए. दुनिया से सभी धर्मों में इसकी सीख दी गई है. इसे लेकर इस्लाम में भी कई हदीसें हैं, जो ये बताती हैं कि लावारिस माल मिलने पर उसका क्या करना चाहिए ? 

अलामती तस्वीर

नई दिल्लीः अक्सर ऐसी खबरें आती हैं कि एक मुस्लिम ऑटो ड्राइवर ने मुसाफिर का रुपये से भरा या गहनों से भरा बैग लौटा दिया. ऐसी खबरें पढ़कर लोग उस मुस्लिम ड्राइवर या शख्स की तारीफ करते हैं और उनकी ईमानदारी की मिसाल पेश करते हैं. हालांकि, ये कोई जरूरी नहीं है कि इस तरह की ईमानदारी सिर्फ एक मुसलमान ही दिखाता है या दिखा सकता है. दुनिया में किसी भी मजहब को मानने वाला कोई भी ईमानदार शख्स ऐसा कर सकता है. ईमानदार कोई भी हो सकता है. दूसरे के माल-ओ-दौलत पर बुरी निगाह नहीं डालने की सीख सभी मजहब में दिया गया है. लेकिन क्या आपको पता है कि इस्लाम धर्म में किसी लावारिस पड़ी वस्तुओं को भी लेने से मना किया गया है, चाहे वह हीरा और जवाहरात से भरा कोई बैग ही क्यों ने हो. लावारिस चीजों को अपने पास रखने को इस्लाम में हराम करार दिया गया है. इसे लेकर कई हदीस है, जो ये ताकीद करते हैं कि लावारिस चीजें पहले तो उठाई न जाए और उठा ली गई है तो इसे मूल मालिक की तलाश कर उनतक पहुंचाई जाए.

1. अगर आपका किसी प्रोग्राम या किसी महफिल में जाना हुआ और सभी लोगों के जाने के बाद वहां किसी का कोई सामान छूटा हुआ मिले तो उसे उठाकर अपने पास रख लेना हराम है. अगर आप इस नियत से उस सामान को उठा रहे हैं कि उसके असली मालिक का पता लगाकर आप वह सामान उनतक पहुंचा देंगे, तो फिर सामान को उठाना जायज है. 

2. अगर कोई लावारिस चीज मिली और उसे नहीं उठाया तो कोई गुनाह नहीं, लेकिन अगर ये डर हो कि वह सामान किसी ऐसे शख्स के हाथ में पड़ जाएगा, जो सामान को मालिक तक न पहुंचाकर खुद रख लेगा, तो ऐसी हालत में उस सामान को उठाना और उसके मालिक तक पहुंचा वाजिब हो जाता है. 

3.  अगर कोई लावारिस वस्तु कहीं से उठा लिया तो फिर उसके मूल मालिक की तलाश कर उसतक सामान को पहुंचाना उसकी जिम्मेदारी हो जाती है. फिर उस सामान को वहीं डाल देना उसके लिए जायज नहीं है. 

4. लावारिस चीजें मिलने के बाद इसका अवामी तौर पर ऐलान कराना सामान पाने वाले पर वाजिब होता है. मालिक होने का दावा करने वाले शख्स की अच्छे से तस्दीक कर उसे उसका सामान सौंपा जाना चाहिए. 

5. अगर किसी शख्स को कोई लावारिस माल मिले और उसने उसके मूल मालिक की खूब तलाश की और वह नहीं मिला. ऐसी सूरत में उस माल को गरीबों में खैरात कर देने का हुक्म है. अगर सामान खैरात कर दिया गया हो और बाद में मालिक आ जाए, तो उसे उस सामान की कीमत पाने वाले शख्स को अदा करनी होगी, लेकिन अगर मूल मालिक उस सामान के दान किए जाने पर कोई आपत्ति न जताए तो फिर मामला वहीं रफा-दफा हो जाएगा. 

6. एक मसला ये भी है कि अगर किसी आदमी को कोई सामान मिला और उसने उसे मालिक की तलाश की लेकिन वह नहीं मिल सका. ऐसी सूरत में सामान पाने वाला शख्स अगर गरीब और जरूरतमंद है तो वह खुद उस सामान को अपने पास रख सकता है. लेकिन अगर सामान का असली दावेदार आ जाए तो उसे वापस करना होगा. कोई खर्च होने वाली अगर चीच थी, तो उसे उस सामान की कीमत अदा करनी होगी. वह चाहे तो उसके मालिक से माफ भी करवा सकता है, लेकिन ये मूल मालिक की मर्जी पर होगी कि वह माफ कर देता है या फिर अपने सामान की कीमत वसूल करता है. 

7. हदीस कहता है कि किसी का भी कोई सस्ता सामान, बेकार सामान यानी ढेला तक बिना मांगे नहीं उठाना चाहिए. ये सब हराम की श्रेणी में आता है, जिसके लिए अल्लाह की नजर में गुनाह माना गया है.

8. खोए हुए सामान के बारे में मुफ्ती अब्बास नदवी कहते हैं कि आजकल सबसे अच्छा ये है कि लावारिस सामान पाए जाने पर उसे नजदीकी पुलिस स्टेशन या फिर किसी जिम्मेदार सरकारी अफसर के हवाले कर दिया जाए. फिर उसके मालिक तक पहुंचाने की जिम्मेदारी हुकूमत की होगी. 

Zee Salaam

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