आज आएगा बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले का फैसला, जानिए मामले जुड़ी अब तक की हर जानकारी
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आज आएगा बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले का फैसला, जानिए मामले जुड़ी अब तक की हर जानकारी

इस मामले में अभियोजन  पक्ष (इस्तगासा फरीक) की तरफ से 351 गवाहों और लगभग 600 दस्तावेज़ पेश किए जा चुके हैं.

फाइल फोटो

नई दिल्ली: अयोध्या के बाबरी मस्जिद इन्हेदाम (विध्वंस) मुजरिमाना मामले में सीबीआई की खास अदालत आज अपना फैसला सुनाएगी. जानकारी के मुताबिक जज सुरेंद्र कुमार यादव और 18 मुल्ज़िम अदालत में पहुंच चुके हैं. इस मामले में भाजपा के सीनियर लीडर लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत 49 लोगों को मुल्ज़िम बनाया गया है. जिसमें से 17 की मौत हो चुकी है. अदालत ने सभी मुल्ज़िमों को फैसले के दिन अदालत में रहने का का हुक्म दिया था. हालांकि लालकृष्ण अडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह, नृत्यगोपाल दास और सतीश प्रधान सेहत खराब होने के चलते अदालत में मौजूद नहीं रहेंगे.  

यह नेता रहेंगे अदालत में मौजूद
हालांकि चंपत राय, बृजभूषण सिंह, पवन पांडेय, लल्लू सिंह, साक्षी महाराज, साध्वी ऋतम्भरा, आचार्य धर्मेंद्र देव, रामचंद्र खत्री, सुधीर कक्कड़, ओपी पांडेय, जय भगवान गोयल, अमरनाथ गोयल, संतोष दुबे वगैरा अदालत में मौजूद रहेंगे. 

351 गवाह और 600 दस्तावेज़ किए गए पेश
इससे मुतअल्लिक सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी विध्वंस मामल को 31 अगस्त तक मुकम्मल करने का हुक्म दिया था और सीबीआई की खास अदालत कोशिश भी कर रही थी कि मामले का निपटारा 31 अगस्त तक कर लिया जाए लेकिन किन्हीं वजहों के चलते यह एक महीने आगे हो गया. इस मामले में अभियोजन  पक्ष (इस्तगासा फरीक) की तरफ से 351 गवाहों और लगभग 600 दस्तावेज़ पेश किए जा चुके हैं. 

क्या है मामला
6 दिसंबर 1992 को 16वीं सदी की बनी इस बाबरी मस्जिद को कार सेवकों की एक भीड़ ने ढहा दिया था जिसे लेकर मुल्कभर में फिरकावाराना (सांप्रदायिक) माहौल पैदा हो गया था, दंगे भी हुए और हज़ारों की तादाद में लोगों ने इन दंगों में अपनी जान गंवाई. तबसे ही यह मामला अदालत में चल रहा था. 

क्या हैं दोनों फरीक की दलीलें
अब इस मस्जिद गिराए जाने के मामले में हिंदू फरीक का दावा था कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद की तामीर मुगल शासक बाबर ने 1528 में श्रीराम जन्मभूमि पर बने रामलला के मंदिर को तोड़कर करवाई थी. जबकि मुस्लिम फरीक का दावा था कि बाबरी मस्जिद किसी मंदिर को तोड़कर नहीं बनाई गई थी. साल 1885 में पहली बार यह मामला अदालत में पहुंचा था. भाजपा लीडर लाल कृष्ण आडवाणी ने 90 की दहाई में राम रथ यात्रा निकाली और राम मंदिर तहरीक (आंदोलन) ने जोर पकड़ा.

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