नए कृषि कानून से जमीन पर कब्जे की बात, अफवाहबाजी और सियासत: केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत EXCLUSIVE
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नए कृषि कानून से जमीन पर कब्जे की बात, अफवाहबाजी और सियासत: केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत EXCLUSIVE

ज़ी सलाम के एडिटर दिलीप तिवारी को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में श्री शेखावत ने दावा किया कि 2014 में सत्ता में आने के बाद से ही मोदी सरकार ने भारतीय खेती के जुआरी चरित्र को लाभकारी चरित्र में ढालने का फैसला कर लिया था.

नए कृषि कानून से जमीन पर कब्जे की बात, अफवाहबाजी और सियासत: केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत EXCLUSIVE

नई दिल्ली: कृषि कानून पर किसानों और सरकार के बीच जारी गतिरोध के बीच केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने ये मानने से इंकार कर दिया कि इस कानून को लाने और किसानों की मंशा समझने में मोदी सरकार से कोई चूक हुई. उन्होंने कहा कि ये जानबूझ कर फैलाई जा रही है गलतफहमी है कि नए कृषि कानून से किसानों की जमीन पर कब्जे का रास्ता साफ हो जाएगा. उन्होंने आरोप लगाया कि आज भले ही कांग्रेस कृषि कानून का विरोध कर रही है लेकिन सच ये है कि उसकी मंशा इस मुद्दे पर सिर्फ और सिर्फ सियासत करने की है. केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने याद दिलाया कि पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने 2013 में दावा किया था कि अकाली सरकार ने उनका लाया कानून ना पलट दिया होता तो रिलायंस की कॉन्ट्रैक्ट खेती से 3 लाख किसानों को फायदा हुआ होता, जबकि आज पंजाब में विरोध के नाम पर जगह-जगह रिलायंस के टावर तोड़े जा रहे हैं. जल शक्ति मंत्री ने पीएम मोदी के इस बयान को फिर से दोहराया कि अगर किसी ने किसान से दूध का कॉन्ट्रैक्ट किया है तो वो उसकी भैंस कैसे ले जाएगा.    

ज़ी सलाम के एडिटर दिलीप तिवारी को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में श्री शेखावत ने दावा किया कि 2014 में सत्ता में आने के बाद से ही मोदी सरकार ने भारतीय खेती के जुआरी चरित्र को लाभकारी चरित्र में ढालने का फैसला कर लिया था. मौजूदा कृषि कानून इसी मामले में सही दिशा में उठा सही कदम है. ज़ी सलाम के एडिटर दिलीप तिवारी ने जब कृषि कानूनों पर सरकार की सोच को साफ करने को कहा तो शेखावत ने तफ्सील से बताया कि कैसे स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर तीनों नए कानूनों की आधारशिला रखी गई.  केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि कृषि कानूनों को 2006 में आई स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट की प्रमुख सिफारिशों  को लागू करने के लिए बनाया गया. ये वो रिपोर्ट थी जिसे उस वक्त 'नेशनल फार्मर पॉलिसी' तक का दर्जा दिया गया. इसके बावजूद 2014 में जब तक मोदी सरकार सत्ता में नहीं आई तब तक पिछली सरकारें स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने से बचतीं रहीं. केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने विपक्ष को आईना दिखाते हुए ये भी दावा किया कि जो पार्टियां आज कृषि कानून का विरोध कर रहीं हैं 2014 से पहले उनके नेताओं ने कभी-ना-कभी स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश लागू करने का वादा जरूर किया.

किसानों से छठें दौर की वार्ता से मामला सुलझने की उम्मीद बनने के फौरन बाद 'ज़ी सलाम' के एडिटर दिलीप तिवारी को दिए एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि मोदी सरकार कृषि को लाभकारी बनाने की तरफ बढ़ना चाहती है, इसीलिए उसने स्वामीनाथन आयोग की 10 प्रमुख सिफारिशों पर गहराई से सोच-विचार कर उन पर कानून बनाने की दिशा में कदम उठाया. स्वामीनाथन आयोग की ये प्रमुख सिफारिशें हैं, 1. भूमि सुधार, 2. सिंचाई का दायरा बढ़ाना, 3. निर्बाध कृषि ऋण, 4. खाद और बीच की सुनश्चित आपूर्ति, 5. कृषि क्षेत्र में निवेश, 6. उपज से आय के अतिरिक्त कृषि से संबद्ध पशुपालन और बागवानी जैसे दूसरे व्यवसायों से आय, 7. फसल के बाद की प्रक्रिया से जुड़े बुनियादी ढांचे में सुधार, 8. कृषि बीमा की ठोस व्यवस्था, 9. बाजार सुधार और 10. लागत से डेढ़ गुना अधिक MSP की गारंटी यानी इसकी गारंटी कि किसान को हर हाल में फसल की लागत पर 50% जोड़ कर आमदनी हो.

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस बेबाक और विस्तृत इंटरव्यू में किसानों की हर चितांओं पर इत्मिनान से बात की और उस पर सरकार का पक्ष रखा. उन्होंने आरोप लगाया कि ईमानदार उद्देश्य वाले इस कानून पर अब विपक्ष अफवाह और गलतफहमी फैला रहा है. लोकतंत्र के समर में चुनावी जमीन गंवा बैठीं सियासी पार्टियां अब मोदी सरकार के खिलाफ किसानों को मोहरा बना रहीं हैं, एक ऐसे मुद्दे को सियासी मुद्दा बनाने की कोशिश कर रहीं हैं जो किसी तरह का मुद्दा ही नहीं है. कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग पर फैलाई जा रही गलतफहमियों पर शेखावत ने साफ किया कि कानून में कॉन्ट्रैक्ट के प्रावधान बाध्यकारी नहीं हैं, जो किसान कॉन्ट्रैक्ट करना चाहते हैं उन्हीं से बड़ी कंपनियां कॉन्ट्रैक्ट कर सकेंगी. FPO यानी कई किसान मिल कर खुद भी फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन बना कर कॉन्ट्रैक्ट कर सकेंगे. ये कॉन्ट्रैक्ट खेती के लिए होंगे ना कि किसान की जमीन के लिए, कानून में किसानों की जमीन को सुरक्षा देने के तमाम तरह के उपाए किए गए हैं, इसलिए किसानों को न डरने की जरूरत है और ना ही किसी के बातों में आने की. 

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