सहारनपुर, बरेली और अमरोहा के उलेमाओं का कहना है कि सेनिटाइज़र हराम है. इसे मस्जिद में इस्तेमाल में नहीं लाया जा सकता.
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विनोद मिश्रा/लखनऊ: कोरोना काल में एक तरफ हुकूमत से लेकर आम आदमी तक अपनी सिक्योरिटी के लिए सेनिटाइज़र का इस्तेमाल कर रहा है. वहीं इस मस्जिद को सेनेटाइज करने के मामले में उलेमाओं ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने सेनिटाइज़र को हराम बताते हुए मस्जिद में इस्तेमाल करने से इंकार किया है.
सहारनपुर, बरेली और अमरोहा के उलेमाओं का कहना है कि सेनिटाइज़र हराम है. इसे मस्जिद में इस्तेमाल में नहीं लाया जा सकता. सुन्नी मरकज़ी दारूल इफ्ता, दरगाह आला हज़रत के मुफ्ती अब्दुर्रहीम नश्तर फारूक़ी ने बताया कि मस्जिदों को सेनिटाइज़ करने का मतलब पूरी मस्जिद को नापाक करना है और नापाक जगह पर या नापाकी के साथ नमाज़ नहीं होगी.
वहीं इस मुद्दे पर वज़ीरे अक्लियती अमूर मोहसिन रज़ा ने उलेमाओं की सोच को बकवास बताया है. मोहसिन रज़ा ने कहा कि इस्लाम में जान बचाने के लिए सब जायज़ है. ये उलेमा और मौलाना न जाने कौन सा इस्लाम पढ़ कर आए हैं जो पूरी कौम को बदनाम कर रहे हैं.
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