कुरआनी किस्सा: हज़रत यूसुफ अलैहिस्सलाम का ख्वाब और सौतेले भाइयों का हसद
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कुरआनी किस्सा: हज़रत यूसुफ अलैहिस्सलाम का ख्वाब और सौतेले भाइयों का हसद

कुरआनी किस्सा: आज हम अपने सीरीज 'कुरआनी किस्सा' में आपको रूबरू कराएंगे हज़रत यूसुफ अलैहिस्सलाम से (Hazrat Yusuf Alaihis salam) जिनकी ज़िंदगी इंसानियत के लिए एक दर्स और सबक और जिनसे हम सीख हासिल कर सकते हैं. 

कुरआनी किस्सा: हज़रत यूसुफ अलैहिस्सलाम का ख्वाब और सौतेले भाइयों का हसद

Quranic anecdote: कुराने करीम में हजरत यूसुफ अलैहिस्सलाम (Hazrat Yusuf Alaihis salam) के वाक्ये को निहायत ही बेहर तरीके से बयान किया गया है, बल्कि कुरान ने उनके किस्से को सबसे अच्छा किस्सा 'अहसनुल कसस' बताया है. तो आइए जानते हैं हजरत यूसुफ अलैहि सलाम की कहानी जिसमें हम सब के लिए नसीहत है.

कौन हैं हजरत यूसुफ़ अलैहिस्सलाम 
हज़रत यूसुफ अलैहिस्सलाम (Hazrat Yusuf Alaihis salam) के पैगंबर हजरत याकूब अलैहिस्सलाम के सबसे चहीते बेटे और हजरत इब्राहिम अलैहि सलाम के पड़पोते हैं. हजरत यूसुफ़ को शरफ हासिल है कि वह ख़ुद नबी, उनके वालिद नबी, उनके दादा नबी और परदादा हज़रत इब्राहीम अबुल अंबिया (नबियों के बाप) हैं. कुरान में हज़रत यूसुफ़ के वक्ये को बयान करने के लिए एक सूरः (सूरः यूसुफ़) भी मौजूद है, जिसमें दुनिया के लिए दर्स और इबरत है.

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हज़रत यूसुफ अलैहिस्सलाम का ख्वाब और सौतेले भाइयों का हसद
जैसा कि ऊपर बताया कि हज़रत यूसुफ अलैहिस्सलाम (Hazrat Yusuf Alaihis salam) अपने पापा हजरत याकूब अलैहिस्सलाम (Hazrat Yaqub Alaihissalam) के सबसे चहीते बेटे थे. यूसुफ़ अलैहि सलाम की पेशानी के चमकता हुए नूरे नुबूवत को हजरत याकूब ने पहचान लिया था, जिसकी बुनियाद पर हजरत याकूब हजरत यूसुफ़ अलैहि सलाम को बेहद अज़ीज़ रखते थे और हजरत याकूब का यूसुफ़ अलैहि सलाम के साथ ये सुलूक उनको भाइयों को नागवार गुज़रता था.

हज़रत यूसुफ अलैहिस्सलाम (Hazrat Yusuf Alaihis salam) के भाइयों की हर लमहा यही कोशिश होती कि किसी अपने पापा दिल से यूसुफ की मुहब्बत को निकाल दिया जाए या फिर यूसुफ ही को अपने रास्ते से हटा दें, ताकि किस्सा हमेशा पाक हो जाए. यूसुफ़ अलैहि सलाम के भाइयों का हसद उस वक्त कमाल को पहुंच गया जब यूसुफ अलैहि सलाम ने एक ख्वाब देखा कि ग्यारह सितारे और सूरज व चांद उनके सामने सज्दा कर रह है. जब यूसुफ़ अलैहि सलाम ने इस ख्वाब को आपने अपने वालिदे मोहतरम को बताया तो उन्होंने उन्हें इस ख्वाब को भाइयों से बताने से सख्ती मना किया, लेकिन जब इस ख्वाब की खबर भाइयों को मिली तो उस वक्त उनके हसद और किने की इंतिहा हो गई और भाइयों ने हजरत यूसुफ को जान से मारने तक का प्लान बना लिया. 

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कुरआन में इस ख्वाब के किस्से को निहायत खूबसूरत तरीके बयान किया गया है. देखिए इसकी झलकी:
तर्जुमा- 'उनमें से एक ने कहा, यूसुफ को क़त्ल न करो और उसको गुमनाम कुएं में डाल दो कि उठा ले जाए उसको कोई मुसाफिर, अगर तुमको करना ही है.' [युसूफ 12:10]

(नोट: हम इस वाक्ये को सिलसिलेवार बयान करेंगे. अब आगे की कहानी दूसरे भाग में बताई जाएगी. इस पूरे किस्से को बढ़ने के लिए हमसे जुड़े रहें.)

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