Poetry on Desire: हर इंसान की असीम तमन्नाएं या ख्वाहिशें होती हैं. किसी ने सही कहा है कि अगर तमन्ना या ख्वाहिश न हो तो हम जी नहीं पाएंगे. आज हम आपके सामने तमन्ना और ख्वाहिश दोनों लफ्जों पर कुछ चुनिंदा शेर पेश कर रहे हैं.
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Poetry on Desire: तमन्ना मतलब अरजू, ख्वाहिश या किसी चीज की चाहत. कहा जाता है कि इंसान की तमन्नाओं की कोई सरहद नहीं है. इंसान की जिंदगी में तमन्ना करने से ही सुख-दुख का एहसास होता है. यह भी सच है कि अगर तमन्ना या ख्वाहिश न हो तो इंसान जिंदा भी नहीं रह सकता है. क्योंकि उसके सामने जीने की कोई उम्मीद नहीं रहेगी. कहा यह भी जाता है कि तमन्नाएं कभी पूरी नहीं होती लेकिन जरूरत हर इंसान की पूरी हो जाती है. कई शायरों ने तमन्ना लफ्ज को अपनी शायरी का मैजूं बनाया है और उस पर कलम चलाई है. पढ़ें तमन्ना पर बेहतरीन शेर.
तमन्नाओं में उलझाया गया हूँ
खिलौने दे के बहलाया गया हूँ
-शाद अज़ीमाबादी
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ख़्वाब, उम्मीद, तमन्नाएँ, तअल्लुक़, रिश्ते
जान ले लेते हैं आख़िर ये सहारे सारे
-इमरान-उल-हक़ चौहान
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हमारी ही तमन्ना क्यूँ करो तुम
तुम्हारी ही तमन्ना क्यूँ करें हम
-जौन एलिया
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गँवाई किस की तमन्ना में ज़िंदगी मैं ने
वो कौन है जिसे देखा नहीं कभी मैं ने
-जौन एलिया
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आग़ाज़-ए-मोहब्बत का अंजाम बस इतना है
जब दिल में तमन्ना थी अब दिल ही तमन्ना है
-जिगर मुरादाबादी
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आशिक़ी सब्र-तलब और तमन्ना बेताब
दिल का क्या रंग करूँ ख़ून-ए-जिगर होते तक
-मिर्ज़ा ग़ालिब
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कटती है आरज़ू के सहारे पे ज़िंदगी
कैसे कहूँ किसी की तमन्ना न चाहिए
-शाद आरफ़ी
तुझ से किस तरह मैं इज़हार-ए-तमन्ना करता
लफ़्ज़ सूझा तो मआ'नी ने बग़ावत कर दी
-अहमद नदीम क़ासमी
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सब ख़्वाहिशें पूरी हों 'फ़राज़' ऐसा नहीं है
जैसे कई अशआर मुकम्मल नहीं होते
-अहमद फ़राज़
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हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले
-मिर्ज़ा ग़ालिब
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आरज़ू है कि तू यहाँ आए
और फिर उम्र भर न जाए कहीं
-नासिर काज़मी
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इंसाँ की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहीं
दो गज़ ज़मीं भी चाहिए दो गज़ कफ़न के बाद
-कैफ़ी आज़मी
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