बाबरी मस्जिद विध्वंस मामला: जानिए किन एक्ट के तहत चला मुल्ज़िमों पर केस
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बाबरी मस्जिद विध्वंस मामला: जानिए किन एक्ट के तहत चला मुल्ज़िमों पर केस

6 दिसंबर 1992 को 16वीं सदी की बनी इस बाबरी मस्जिद को कार सेवकों की एक भीड़ ने ढहा दिया था जिसे लेकर मुल्कभर में फिरकावाराना (सांप्रदायिक) माहौल पैदा हो गया था

उमा भारती, लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी

नई दिल्ली: 6 दिसंबर 1992 को बाबरी इन्हेदाम मामले में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट 30 सितंबर यानी कल अपना फैसला सुनाएगी. बाबरी इन्हेदाम मामले में 49 लोगों के खिलाफ केस दर्ज हुआ था. इनमे से 17 मुल्ज़िमिन का इंतक़ाल हो चुका है. दीगर 32 मुल्ज़िमिन में लालकृष्ण आडवाणी,मुरली मनोहर जोशी,विनय कटियार, विष्णु हरि डालमिया पर दफा 120 बी के तहत वारदात की साजिश रचने का इल्ज़ाम है.

इन सबके खिलाफ IPC की दफा 12OB,147,149,153A, 153B और 505 (1) को तहत मुकदमा चला. कल्याण सिंह के गवर्नर के ओहदे से हटने के बाद 17 सितंबर 2019 को उन पर भी यही तमाम दफआत (Acts) लगाई गईं. अदालत तय करेगी कि अयोध्या में मुतनाज़ा ढांचा साज़िश के तहत गिराया गया था या कारसेवकों ने गुस्से में इसे तोड़ा. अगर इन लीडरान पर इल्ज़ाम साबित हो जाते हैं तो इन्हें दो साल से लेकर 5 साल तक की सज़ा हो सकती है.

इस मामले में महंत नृत्य गोपाल दास, महंत राम विलास वेदांती, बैकुंठ लाल शर्मा उर्फ प्रेमजी, चंपत राय बंसल, धर्मदास और डॉ. सतीश प्रधान पर भी आईपीसी की धारा 147, 149, 153ए, 153बी, 295, 295ए व 505 (1) B के साथ ही दफा 120 B के तहत इल्ज़ाम हैं. इस तरह 49 में से कुल 32 मुल्ज़िमों के मुकदमे की कार्यवाई शुरू हुई,दीगर 17 मुल्ज़िमान की मौत हो चुकी है. 

क्या है मामला
6 दिसंबर 1992 को 16वीं सदी की बनी इस बाबरी मस्जिद को कार सेवकों की एक भीड़ ने ढहा दिया था जिसे लेकर मुल्कभर में फिरकावाराना (सांप्रदायिक) माहौल पैदा हो गया था, दंगे भी हुए और हज़ारों की तादाद में लोगों ने इन दंगों में अपनी जान गंवाई. तबसे ही यह मामला अदालत में चल रहा था. 

क्या हैं दोनों फरीक की दलीलें
अब इस मस्जिद गिराए जाने के मामले में हिंदू फरीक का दावा था कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद की तामीर मुगल शासक बाबर ने 1528 में श्रीराम जन्मभूमि पर बने रामलला के मंदिर को तोड़कर करवाई थी. जबकि मुस्लिम फरीक का दावा था कि बाबरी मस्जिद किसी मंदिर को तोड़कर नहीं बनाई गई थी. साल 1885 में पहली बार यह मामला अदालत में पहुंचा था. भाजपा लीडर लाल कृष्ण आडवाणी ने 90 की दहाई में राम रथ यात्रा निकाली और राम मंदिर तहरीक (आंदोलन) ने जोर पकड़ा.

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